केदरनाथ हादसे को लेकर शंकराचार्य ने PM मोदी से की मांग- हिमालय क्षेत्र में व्यवसायिक उड़ानें तत्काल बन्द हों
punjabkesari.in Wednesday, Oct 19, 2022 - 08:49 AM (IST)

मथुरा: उत्तर प्रदेश में मथुरा स्थित गोवर्धन पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य अधोक्षजानन्द देव तीर्थ महराज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हिमालय क्षेत्र में व्यवसायिक उड़ानों से इस क्षेत्र के पर्यावास को हो रहे नुकसान का हवाला देकर इनके संचालन पर तत्काल पाबन्दी लगाने की मांग की है।
...जब भी मनुष्य ने देवभूमि के पर्यावरण में व्यवधान उत्पन्न किया
शंकराचार्य ने मंगलवार को केदारनाथ में हुयी हेलीकॉप्टर दुर्घटना के परिप्रेक्ष्य में एक बयान जारी कर कहा कि अनादिकाल से हिमालय देवताओं का क्षेत्र रहा है, इसलिये इसके शांतिपूर्ण वातावरण को बनाए रखा गया है। उन्होंने आगाह किया कि जब भी मनुष्य ने देवभूमि के पर्यावरण में व्यवधान उत्पन्न किया, उसे दैवीय प्रकोप का सामना करना पड़ा। 2013 की केदारनाथ त्रासदी इसका ताजा उदाहरण है। अफसोस यह है कि 2013 की त्रासदी के संकेत को समझा नहीं गया है।
देव भूमि के पर्यावरण से किसी प्रकार छेड़छाड़ न हो
उन्होंने कहा कि हिमालय के क्षेत्र में पर्यावरण को लगातार प्रदूषित किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि इसी का परिणाम मंगलवार की हेलीकॉप्टर दुर्घटना है, जिसमें सात बेशकीमती जाने चली गईं। शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री से केदारनाथ की व्यवसायिक या अन्य उड़ानों को बंद करने की मांग करते हुए कहा है कि देव भूमि के पर्यावरण से किसी प्रकार छेड़छाड़ न हो, जिससे देवताओं का आशीर्वाद भारतवासियों को लगातार मिलता रहे।
हिमालय का क्षेत्र देवताओं की साधना स्थली है
उनका कहना था कि देव भूमि या मन्दिर में जब लोग देव आशीर्वाद लेने जाते हैं तो नंगे पैरो से चलकर या लेटकर भावपूर्ण मुद्रा में जाते हैं तभी देव आशीर्वाद भी मिलता है। जब मन्दिर और देवस्थान को साधारण इमारत समझा जाएगा तो ऐसी घटना होने से कोई रोक नहीं सकता। शंकराचार्य ने कहा कि किसी धार्मिक स्थल की व्यवस्थाओं में बदलाव करने के पहले उसके वैज्ञानिक और अध्यात्मिक पहलू पर विचार करना ही आवश्यक नही है बल्कि उनमें सामंजस्य बनाए रखना भी आवश्यक है। हिमालय का क्षेत्र देवताओं की साधना स्थली है और उसके ऊपर हेलीकॉप्टर उड़ाना, उसकी आवाज से देवों की साधना में व्यवधान पैदा करना, देव प्रकोप को सीधे निमंत्रण देना है।
आदिकाल से लोग इन तीर्थों में जाते रहे है, पर कभी कोई घटना नहीं घटी
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि आदिकाल से लोग इन तीर्थों में जाते रहे है, पर कभी कोई घटना इसलिए नहीं घटी कि उस स्थान की पावनता और शुचिता को समझा गया। असहाय लोग पहले भी डोली में बैठकर दर्शन के लिए जाते रहे हैं। पर कभी ऐसी घटना नहीं घटी, उल्टे देव आशीर्वाद की वर्षा होती रही है। उनका कहना था कि आवश्यकता उसी परंपरा का निर्वहन करने की है। उन्होंने भगवान केदारनाथ से प्रार्थना की है कि वह मंगलवार के हादसे में मृत आत्माओं को अपने चरणों में स्थान दें तथा परिवारजनों को यह दारूण दु:ख झेलने की शक्ति प्रदान करें।