श्रीकृष्ण मंदिर के निर्माण पर अपना रुख स्पष्ट करें अखिलेश यादव: केशव प्रसाद मौर्य
punjabkesari.in Sunday, Nov 26, 2023 - 04:20 PM (IST)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रविवार को समाजवादी पार्टी (सपा) पर मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण नहीं चाहने का आरोप लगाया है। उन्होंने अखिलेश यादव को चुनौती देते हुए कहा कि अगर वह आजम खां एवं उनके समुदाय के दबाव में नहीं हैं तो अपना रुख स्पष्ट करें।
'श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण नहीं चाहती सपा'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मथुरा दौरे के 3 दिन बाद रविवार को मौर्य ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ''अल्पसंख्यकों के वोट की खातिर हिंदुओं का खून बहाने वाली सपा भगवान श्रीकृष्ण के वंशजों का वोट चाहती है, लेकिन श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर (का निर्माण) नहीं चाहती।'' उन्होंने कहा, ''सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस मामले में अगर (सपा नेता एवं पूर्व मंत्री) आजम खां और उनके समुदाय के दबाव में नहीं हैं, तो अपना रुख स्पष्ट करें।'' सपा नेता आजम खां अपने बेटे के फर्जी प्रमाण पत्र के मामले में इन दिनों सात साल जेल की सजा काट रहे हैं।
भगवान श्रीकृष्ण मेरे सपने में आते हैं और कहते हैं कि सपा सरकार बनने जा रही है: अखिलेश यादव
वहीं, सपा प्रमुख ने उप्र विधानसभा चुनाव (2022) से पहले जनवरी, 2022 में कहा था, ‘‘भगवान श्रीकृष्ण मेरे सपने में आते हैं और कहते हैं कि (राज्य में) समाजवादी सरकार बनने जा रही है।'' इस बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने बृहस्पतिवार को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर में पूजा-अर्चना की। वह भगवान कृष्ण की भक्त मीराबाई की 525 वीं जयंती मनाने के लिए आयोजित 'मीराबाई जन्मोत्सव' में भाग लेने के लिए वहां गए थे।
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देश की विभिन्न अदालतों में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित मामला लंबित है। मथुरा की एक अदालत में, महेंद्र प्रताप सिंह एवं राजेंद्र माहेश्वरी द्वारा दायर वाद में दावा किया गया है कि मुगल शासक औरंगजेब ने अपने शासनकाल में प्राचीन केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कराकर उसके स्थान पर ईदगाह का निर्माण कराया। इस वाद में यह भी दावा किया गया है कि मुगल शासक ने मंदिर में स्थापित ठाकुरजी के विग्रहों को आगरा की बेगम मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफन करा दिया था। इसके अलावा, अन्य कई वादियों ने अदालत में वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ या संस्थान एवं शाही ईदगाह इंतजामिया कमेटी के बीच 1968 में हुए समझौते को अमान्य व अवैध घोषित करते हुए ईदगाह को वहां से हटाने तथा उक्त भूमि उसके वास्तविक मालिक मंदिर न्यास को सौंपे जाने की मांग की है।