सपा-भाजपा के बीच तीकी नोकझोंक: शिक्षामित्रों के मुद्दे पर सपा सदस्यों ने किया सदन से बहिर्गमन

punjabkesari.in Wednesday, Sep 21, 2022 - 07:05 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने बुधवार को शिक्षामित्रों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने और आत्महत्या करने वाले शिक्षामित्रों के परिजन को मुआवजा देने के मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया। शून्यकाल के दौरान सपा सदस्यों लाल बिहारी यादव, मान सिंह यादव और आशुतोष सिन्हा ने कार्य स्थगन की सूचना के जरिए यह मामला उठाते हुए सदन का बाकी काम रोककर इस पर चर्चा कराए जाने की मांग की।

सपा सदस्य मुकुल यादव ने सूचना पढ़ते हुए कहा कि जबसे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार बनी है, शिक्षामित्रों का उत्पीड़न जारी है। सरकार ने चुनाव के समय शिक्षामित्रों को स्थायी नौकरी देने का वादा किया था मगर उसने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने को न्यायिक प्रक्रिया के तहत उचित नहीं माना गया लेकिन उनके सेवा कार्य को देखते हुए सरकार को समान कार्य का समान वेतन देने की छूट है मगर सरकार उन्हें प्रतिमाह 10 हजार रुपए मानदेय दे रही है जिससे उनका गुजर-बसर नहीं हो पा रहा है। उन्होंने दावा किया कि इन दुश्वारियां की वजह से अब तक लगभग 4000 शिक्षामित्रों ने आत्महत्या कर ली है।

उन्होंने कहा कि सरकार इसके प्रति संवेदनशील नहीं है लिहाजा इस लोक महत्व के तात्कालिक मामले पर सदन का बाकी काम रोक कर चर्चा कराई जाए। सपा सदस्यों आशुतोष सिन्हा और मान सिंह यादव ने सूचना की ग्राह्यता पर बल दिया। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने इस सूचना पर सरकार की तरफ से जवाब देना शुरू किया तो सपा सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मंत्री शिक्षा मित्रों के विषय पर कुछ भी नहीं कह रहे हैं।

इस पर नेता सदन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सपा सदस्यों पर आरोप लगाते हुए कहा कि मंत्री संदीप सिंह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पौत्र हैं और पिछड़े समाज से आते हैं इसलिए समाजवादी पार्टी के सदस्य उनका विरोध कर रहे हैं। सपा सदस्यों ने नेता सदन के इस आरोप पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस पर सत्ता पक्ष और सपा के सदस्यों के बीच नोकझोंक होने लगी। इसी दौरान सपा के सदस्य सदन से बाहर चले गए। उसके बाद बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि 2014 में तत्कालीन समाजवादी पार्टी नीत सरकार ने एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया था लेकिन एक शिक्षक के लिए जरूरी योग्यता पूरी नहीं करने की वजह से 2017 में अदालत के आदेश पर उसे निरस्त कर दिया गया। मगर शिक्षा विभाग ने उन 15240 शिक्षामित्रों को शिक्षक के रूप में विभाग ने समायोजित कर लिया जिन्होंने जरूरी अर्हताएं हासिल कर ली थीं।

उन्होंने कहा कि बाकी जो शिक्षामित्र रह गए थे, उन्हें मिलने वाला प्रतिमाह 3500 का मानदेय 2017 में भाजपा की सरकार ने बढ़ाकर 10 हजार रुपए कर दिया था। सरकार शिक्षामित्रों की हितैषी है और आने वाले समय में भी जो भी निर्णय उनके हित में जरूरी होंगे वे लिये जाएंगे।


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Content Writer

Mamta Yadav

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