यूपी की जेलों में अगले माह से चलाया जाएगा TB, HIV के लिए विशेष जांच अभियान, मरीजों का होगा निशुल्क इलाज
punjabkesari.in Monday, Sep 11, 2023 - 03:35 PM (IST)

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की सभी 74 जेलों में क्षय रोग (टीबी), एचआईवी, हेपेटाइटिस ‘बी' एवं ‘सी' और यौन संचारित रोगों की जांच तथा परीक्षण के लिए अक्टूबर महीने के दूसरे सप्ताह से एक विशेष अभियान चलाएगी। दरअसल, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के सहयोग से यूपी राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी द्वारा चलाये जाने वाले इस अभियान को इंटीग्रेटेड एसटीआई, एचआईवी, टीबी एंड हेपेटाइटिस (आईएसएचटीएच) नाम दिया गया है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश की 74 जेलों में करीब एक लाख 16 हजार कैदी हैं, जिसमें 65 प्रतिशत विचाराधीन कैदी और करीब 35 प्रतिशत सजायाफ्ता कैदी हैं। वर्तमान में इनमें से 1550 कैदी एचआईवी संक्रमित, 440 कैदी क्षय रोग से पीड़ित, 56 कैदी हेपेटाइटिस ‘बी' और 174 कैदी हेपेटाइटिस ‘सी' से संक्रमित हैं, जिनका जेलों में निशुल्क इलाज किया जा रहा है।
अपर परियोजना निदेशक उप्र राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी, हीरालाल ने रविवार को कहा, ‘‘राज्य भर की जेलों में क्षय रोग, एचआईवी, हेपेटाइटिस ‘बी' और ‘सी' और यौन संचारित रोगों की जांच और परीक्षण के लिए एक विशेष जांच अभियान अक्टूबर माह से शुरू किया जा रहा है। इस उद्देश्य के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को तकनीकी और व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित किया गया है। केंद्र सरकार की 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त बनाने की प्रतिज्ञा के अनुरूप उत्तर प्रदेश अगले माह से जल्द ही क्षय रोग (टीबी) के लिए जेल कैदियों की गहन जांच और परीक्षण शुरू करेगा।'' उन्होंने बताया कि इससे पहले 2016 में राज्य कारागार विभाग और उप्र राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के संयुक्त प्रयास से एक विशेष अभियान के माध्यम से उत्तर प्रदेश की 69 जेलों में बंद 89,905 कैदियों की एचआईवी जांच कराई गई थी, जिसमें से 470 कैदियों को एचआईवी संक्रमित पाया गया और सभी के संपूर्ण चिकित्सा उपचार की व्यवस्था कराई गई थी।
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15 अक्टूबर से होगी अभियान की शुरुआत
अपर परियोजना निदेशक ने बताया कि विभाग एचआईवी जांच पर ज्यादा जोर इसलिए देता है कि क्योंकि एचआईवी संक्रमित रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है और उन्हें क्षय रोग होने की संभावना बहुत अधिक होती है। अब वर्ष 2023 में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) और उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी यह अभियान शुरू कर रहा है। प्रदेश में शुरू हो रहे इस अभियान की जिम्मेदारी राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी को दी गई है। इसमें राज्य क्षय रोग विभाग, संचारी रोग विभाग, महिला कल्याण विभाग आदि विभागों से समन्वय स्थापित कर नोडल अधिकारी नामित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस अभियान की शुरुआत 15 अक्टूबर से प्रस्तावित है।
एक मरीज एक साल में 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है
राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के संयुक्त निदेशक रमेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस अभियान के तहत विभागों की टीम राज्य के समस्त जिलों की जेलों में जाएगी और वहां के सभी कैदियों (विचाराधीन और सजायाफ्ता दोनों) की जांच की जाएगी। इनमें से एचआईवी, क्षय रोग, हेपेटाइटिस और यौन संचारित रोगों के रोगियों को अलग करके उनके नामित नोडल अधिकारी उनके लिए समस्त जांच और दवाओं की निशुल्क व्यवस्था करेंगे। श्रीवास्तव ने बताया कि इस अभियान और कार्यक्रम की निगरानी एवं समीक्षा राज्य कारागार विभाग, उप्र राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी, क्षय रोग विभाग और संचारी रोग विभाग करेंगे। श्रीवास्तव के मुताबिक क्षय रोगों के 30 से 40 प्रतिशत मामलों का या तो देर से पता चलता है या पता ही नहीं चलता। ये संक्रमण फैलाते रहते हैं क्योंकि एक क्षय रोग से ग्रसित मरीज एक साल में 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है।