पूर्व सांसद डीपी यादव को बाइज़्ज़त बरी करने के हाईकोर्ट के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर

punjabkesari.in Sunday, Apr 17, 2022 - 03:08 PM (IST)

सर्वोच्च न्यायालय ने 30 साल पुराने भाटी हत्याकाण्ड मामले में हाईकोर्ट के फ़ैसले को सही ठहराते हुए माना कि डीपी यादव पर लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए कोई भी ठोस साक्ष्य मौजूद नहीं है।

प्रमुख बिंदु:
•    सुप्रीम कोर्ट ने बरक़रार रखा उत्तराखंड हाईकोर्ट का फ़ैसला। 
•    पिछले सालउत्तराखंड हाईकोर्ट ने किया था बाइज़्ज़त बरी।

नई दिल्ली/लखनऊ:  यूपी के क़द्दावर नेता और पूर्वसांसदडीपी यादव के लिए सोमवार का दिन एक बड़ी राहत लेकर आया जब सुप्रीम कोर्ट ने 30 साल पुराने भाटी हत्याकाण्ड मामले में डीपी यादव को बाइज़्ज़त बरी करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फ़ैसले पर अपनी मुहर लगा दी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिछले साल नवंबर में निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए डीपी यादव को बाइज़्ज़तबरी किया था।

आख़िर क्या है पूरा मामला
बताते दें कि 13 सितंबर 1992 को गाज़ियाबाद के पूर्व विधायक महेंद्र भाटी की दादरी रेलवे क्रासिंग पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सीबीआई द्वारा पूरे मामले की जांच कर जब चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई तो आरोपियों की सूची मेंसह-आरोपी के तौर पर एक नाम डीपी यादव का भी था। 15 फरवरी, 2015 में सीबीआई कोर्ट ने सीबीआई द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट के आधार पर सभी को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। 

इसके बाद डीपी यादव ने अपने ऊपर लगे आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद और विरोधियों द्वारा उनकी राजनीतिक हत्या करने की एक और घिनौनी कोशिश बताते हुए सीबीआई कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।सालोंचली सुनवाई के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्टनेसीबीआई और बचाव पक्ष की दलीलोंको ग़ौर से सुनने और इस मामले के एक-एक पहलू पर विस्तार से चर्चा करनेबाद 29सितंबर 2021 को अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा।10 नवंबर 2021 को उत्तराखंड हाईकोर्टके मुख्यन्यायाधीश न्यायमूर्तिआर.एस. चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्माकीखंडपीठ ने डीपी यादव कीअपील पर अपना निर्णय सुनाते हुएकहा कि अभियोजन पक्ष अदालत के सामने ऐसा कोई भी ठोस सुबूत नहीं प्रस्तुत कर पाया जिससे डीपी यादव पर लगे आरोप साबित हो सकें। इसी के साथ ही उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए डीपी यादव को इस मामले में बाइज़्ज़तबरी कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फ़ैसले पर लगाई मुहर
उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा डीपी यादव को बाइज़्ज़तबरी करने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील करते हुए सीबीआई द्वाराएक विशेष अवकाश याचिका (स्पेशल लीव पिटिशन) दायर की गई। जिस पर सुनवाई करने के पश्चात् 11 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश- न्यायमूर्ति संजीव खन्ना एवं न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की अदालत ने उत्तराखंड हाईकोर्टके फ़ैसलेको बरक़रार रखते हुए सीबीआई की अपील ख़ारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश (जिसकी एक प्रति पंजाब केसरी के पास है) में माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उत्तराखंड हाईकोर्टद्वारा दिए गएफ़ैसले में दख़ल देने का कोई ठोस आधार एवं कारण नहीं है।

डीपी यादव के समर्थकों में ख़ुशी की लहर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डीपी यादव के समर्थकों में जश्न का माहौल देखा गया। फ़ैसले का पता चलते ही ग़ाज़ियाबाद स्थित उनके आवास पर जमा हुए समर्थकों नेजहां उन्हें फूल-मालाओं से लाद दिया। तो वहीं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं पंजाबमें कई जगहों पर उनके समर्थकों ने मिठाई बाँटी और ढोल बजाकर अपनी ख़ुशी का इज़हार किया। ।
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सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए डीपी यादव ने कहा कि आख़िरकार सच की जीत हुई।“मेरी यह बात सच साबित हुई कि यह पूरा मामला मेरे राजनैतिक विरोधियों की एक घिनौनी साज़िश थी जिसका उद्देश्य मुझे पिछड़ों और वंचितों की आवाज़ उठाने से रोकना था। यद्यपि इस पूरी प्रक्रिया में मुझे अपने जीवन के कई सुनहरे वर्ष जेल में बिताने पड़े लेकिन सार्वजनिक जीवन में ऐसी कठिन अग्निपरीक्षाओं से गुज़रना ही पड़ता है। फ़िलहाल मेरा पूरा ध्यान हर रोज़ नई चुनौतियों से जूझ रहे नौजवान और किसान के हितों की लड़ाई पर है जिसके लिएहमारी पार्टी राष्ट्रीय परिवर्तन दल के नेता एवं कार्यकर्ता ज़मीनी स्तर पर बहुत ही तेज़ी से संगठन विस्तार के काम में जुटे हुए हैं।”


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Imran

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