सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार, कहा- कैदियों के मामले में हमारे आदेश का पालन क्यों नहीं हो रहा?

punjabkesari.in Monday, Aug 12, 2024 - 02:23 PM (IST)

लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों की सजा में छूट के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।  दरअसल, कोर्ट ने कहा है कि कई कैदियों की जमानत की याचिकाएं काफी समय से लंबित पड़ी है, जिसका निपटारा समय से नहीं किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ने कैदियों की माफी के आवेदनों के निपटाने के लिए एक समय सीमा तय की थी जिसका यूपी सरकार ने पालन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार ने कोर्ट मांफी मांगी लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। होर्ट ने कहा कि आप हमारे आदेश का जानबूझकर पालन नहीं कर रहे हैं। तो आप को हम ऐसे ही नहीं छोड़ेंगे।

दरअसल, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह ने कैदियों  को लेकर कहा कि हमारे आदेश पारित करने के बाद भी आप 2-4 महीने कैसे ले सकते हैं? कोर्ट ने कहा, राज्य सरकार का ऐसा रवैया कैदियों के अधिकारों के खिलाफ है।  वह उनके मौलिक अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रही है। कोर्ट के सवाल के जवाब में यूपी का पक्ष रख रहे वकील राकेश कुमार ने कहा प्राधिकारी छुट्टी पर थे। सुप्रीम कोर्ट ने जिसके जवाब में कहा कि एक हलफनामा दाखिल करें जिसमें कहा गया हो कि माननीय मुख्यमंत्री सचिवालय ने फाइल स्वीकार नहीं की और अधिकारियों के नाम सामने रखे। कोर्ट ने कहा अवमानना ​​पर किसी भी फैसले से पहले, हम निर्देश देते हैं कि 14 अगस्त तक मुख्यमंत्री कार्यालय में अधिकारियों के साथ हलफनामा पेश किया जाए।

जानिए क्या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2022 को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि कई उम्रकैद के समय पूर्व रिहाई के आवेदनों पर तीन महीने के अंदर अंतिम निर्णय लिया जाए। इसके बावजूद कई कैदियों की समय से पहले रिहाई की याचिकाओं पर अभी तक फैसला नहीं किया गया है। दरअसल,  सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई कैदी पूर्व रिहाई की शर्तें पूरी करता है तो बिना आवेदन  के उसकी रिहाई पर विचार किया जाए।

 गौरतलब है कि 14 कैदियों में से 25 मार्च 2022 को कोर्ट ने सभी 12 याचिकाकर्ता कैदियों को जमानत देते हुए अपने आदेश में कहा था कि ये सभी करीब 14 साल की सजा काट चुके हैं और इनकी जमानत याचिकाएं वर्षो से हाई कोर्ट में लंबित पड़ी हैं। ऐसे में सभी याचिकाकर्ताओं को जमानत दी जाती है। कोर्ट ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने कैदियों पर जो शर्त लगाई थी उनको पूरा करने पर याचिकाकर्ता कैदियों को जमानत पर रिहा किया जाए।
 


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Content Writer

Ramkesh

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