UP News: सरकारी अनुदान प्राप्त मदरसों के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता की होगी जांच

punjabkesari.in Sunday, Dec 03, 2023 - 04:48 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी अनुदान प्राप्त प्रदेश के सभी मदरसों के शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता और वहां उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं की स्थिति की जांच करने के आदेश दिए हैं। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने इस पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि मदरसों की जांच अब एक 'नियमित प्रक्रिया' बन गई है और बार-बार जांच होने से मदरसों में शिक्षण कार्य तथा अन्य गतिविधियों में व्यवधान पड़ता है।

30 दिसंबर तक मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार को रिपोर्ट सौंपने का दिया गया आदेश 
प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक जे. रीभा ने एक दिसंबर को राज्य के सभी विभागीय मंडलीय उपनिदेशकों और सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेजा था। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि मदरसों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए गुणवत्ता परक शिक्षा सुनिश्चित करने और उनमें अन्वेषणात्मक, रुचि पूर्ण एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित किए जाए। समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए मदरसों में आधारभूत सुविधाएं एवं योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराया जाना नितांत आवश्यक है। पत्र में उन्होंने इसको सुनिश्चित करने के लिए सबसे पहले प्रदेश सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त मदरसों के भवनों, आधारभूत सुविधाओं एवं कार्यरत शिक्षक तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच करा ली जाए।'' पत्र में यह जांच पूरी करके 30 दिसंबर तक मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार को रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश में इस वक्त लगभग 25,000 मान्यता प्राप्त एवं गैर मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। इनमें से 560 को राज्य सरकार से अनुदान मिलता है।
PunjabKesari
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक ने पत्र में यह भी लिखा कि प्रदेश में स्थित मदरसों में अब भी आधारभूत सुविधाओं का अभाव है और वहां पढ़ रहे बच्चों को गुणवत्ता परक वैज्ञानिक एवं आधुनिक शिक्षा प्राप्त नहीं हो पा रही है जिसके कारण छात्रों को रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इस जांच के लिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तथा जिलाधिकारी द्वारा नामित खंड शिक्षा अधिकारी की एक समिति गठित की गई है। इसके अलावा जिन जिलों में राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त मदरसों की संख्या 20 से ज्यादा है वहां इस काम को जल्द निपटने के लिए दूसरी समिति का भी गठन किया जाएगा। इसमें संबंधित मंडल के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के उपनिदेशक और जिलाधिकारी द्वारा नामित खंड शिक्षा अधिकारी शामिल होंगे। पत्र में कहा गया है कि यह जांच कई बिंदुओं पर होगी। इनमें मदरसे में कुल स्वीकृत पदों की कक्षा के सापेक्ष संख्या, शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के नाम तथा उनकी शैक्षिक योग्यता, मदरसे में निर्मित भवन का मानक के आधार पर भौतिक सत्यापन, कक्षावार अध्यापकों के सापेक्ष छात्रों का अनुपात और मदरसे में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है या नहीं आदि बिंदु शामिल हैं। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि उन्हें इस पत्र की जानकारी है। हालांकि, इसी साल सितंबर में हुई बोर्ड की बैठक में इस जांच को लेकर कोई सुझाव या प्रस्ताव नहीं दिया गया था और ना ही जांच का आदेश देने से पहले उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई।
PunjabKesari
उन्होंने कहा कि सरकार राज्य द्वारा अनुदानित मदरसों की जांच करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन बार-बार सर्वे और जांच होने के कारण अब यह मदरसों के लिए आम बात हो गई है। मदरसों की जांच अब एक 'नियमित प्रक्रिया' बन चुकी है और इससे मदरसों का कामकाज प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि मदरसों में आगामी फरवरी में ही बोर्ड परीक्षाएं होनी है और उसकी तैयारी की जा रही है। ऐसे में एक और जांच से तैयारी में व्यवधान पैदा होगा। पिछले साल ही प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे किया गया था, लेकिन उसकी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अब एक नई जांच शुरू करने के आदेश दे दिए गए हैं। जावेद ने कहा कि वर्ष 2017 में जब मदरसा बोर्ड के पोर्टल पर प्रदेश के सभी मदरसों को अपने-अपने यहां के शिक्षकों के विवरण तथा अन्य चीजों के बारे में जानकारी अपलोड करने को कहा गया था तब भी जांच हुई थी। सभी मान्यता प्राप्त मदरसों के शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेज बोर्ड के रिकॉर्ड में मौजूद हैं। जांच में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जांच एक बार ठीक से हो जाए ताकि भविष्य में मदरसों में काम पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। जांच का एक समय होना चाहिए। मदरसों में परीक्षा की तैयारी के बीच जांच नहीं होनी चाहिए। मालूम हो कि राज्य सरकार ने पिछले साल सितंबर में प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराया था जिसमें प्रदेश के लगभग 8000 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त पाए गए थे।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Harman Kaur

Related News

static