जौनपुर में मना अमर शहीद मंगल पाण्डेय का 164वां शहादत दिवस, अंग्रेजों के विरूद्ध फूंका था विद्रोह का विगुल
punjabkesari.in Thursday, Apr 08, 2021 - 01:52 PM (IST)

जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में अमर शहीद मंगल पाण्डेय के 164 वें शहादत दिवस पर याद करते हुए जिले के सरावां गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी व लक्ष्मी बाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं की आंखे नम हो गईं। लोगों ने क्रान्ति स्तंभ पर मोमबत्ती व अगरबत्ती जलाई और मंगल पाण्डे के चित्र पर माल्यार्पण किया।
शहीद स्मारक पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए लक्ष्मीबाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत सिंह ने कहा कि 30 जनवरी 1831 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में जन्मे मंगल पाण्डेय बंगाल के नेटिव इफेन्ट्री में एनआई की 34 वीं रेजीमेण्ट में सिपाही के पद पर तैनात थे। बंगाल इकाई में जब इन्फील्ड पी-53 राइफल में नई किस्म के कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ तो हिन्दू - मुस्लिम के सैनिकों और गोरों के मन में बगावत के बीज अंकुरित हो गये। उस समय इन कारतूसों को मुंह से खोलना पड़ता था। भारतीय सैनिकों में ऐसी खबर फैल गयी कि इन कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है। उस समय अंग्रेजों ने हिन्दुस्तानियों का धर्म भ्रष्ट करने के लिए यह तरकीब अपनायी थी।
जब इसकी जानकारी मंगल पाण्डेय को हुई तो 29 मार्च 1857 बैरकपुर छावनी से अंग्रेजों के विरूद्ध उन्होंने विद्रोह का विगुल फूंक दिया। उनकी इस ललकार पर उस समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी में खलबली मच गयी और इसकी गूंज पूरी दुनियां में सुनाई दी। गोरों ने मंगल पाण्डेय तथा उनके सहयोगी ईश्वरी प्रसाद पर कुछ समय में ही काबू पा लिया था, लेकिन इन लोगों की जांबाजी ने पूरे देश में उथल-पुथल मचा दिया। इससे तंग आकर अंग्रेजों ने आठ अप्रैल 1857 को मंगल पाण्डेय को फांसी पर लटका दिया और 21 अप्रैल 1857 को उनके सहयोगी ईश्वरी प्रसाद पाण्डेय को भी फांसी पर लटका दिया गया।