''बिल तो बस बहाना है, मकसद ''काफिरों'' को मिटाना है…'', मुर्शिदाबाद हिंसा पर भड़के राजा भैया ने ममता बनर्जी पर बोला हमला

punjabkesari.in Thursday, Apr 17, 2025 - 11:53 PM (IST)

Pratapgarh News: जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भइया’ ने कहा कि बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध के नाम पर भड़की हिंसा एकतरफा और योजनाबद्ध है। वक्फ कानून के विरोध में हिंसा पर उन्होंने कहा कि विधेयक सिर्फ बहाना है मकसद काफिरों को मिटाना है।

कह रहीम कैसे निभै, केर बेर को संग...
राजा भइया ने गुरुवार को कहा “ संविधान, कानून और मानवाधिकार की बात करने वाले लोग भी इस समय खामोश हैं, जबकि असली पीड़ित वे लोग हैं जिनका वक्फ संशोधन बिल से कोई लेना-देना ही नहीं। राजा भइया ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर भड़कते हुए लिखा “ कह रहीम कैसे निभै, केर बेर को संग... ये सर्वविदित है कि बिल संसद में पास होने के बाद धरा का कानून बन जाता है। आज वक़्फ के समर्थन और विरोध में देश के सारे राजनैतिक दल और विचारधाराएं दो धड़े में बटी हुई हैं। पक्ष हो या विपक्ष इतना तो सभी मानेंगे कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जिन पिता पुत्र कि निर्मम हत्या की गयी, जिनके घर, दुकानें जलाई गईं, लूटी गई, इतना ही नहीं जिन असंख्य हिन्दुओं को औरतों, बच्चों की जान और अस्मिता बचाने के लिए अपना घर, गांव छोड़कर पलायन करना पड़ा उनका वक़्फ संशोधन बिल से कोई लेना देना नहीं है। बिल के पास होने में उनकी कोई भूमिका नहीं है, उनको तो ये भी पता नहीं होगा कि ये वक़्फ क्या बला है।”

आखिर हिंदू कब तक और कहां तक भागेगा?
उन्होंने आगे लिखा कि आखिर उन लोगों का दोष क्या था? मस्जिद के सामने ‘डीजे’ भी तो नहीं बजा रहे थे! वक्फ एक्ट का बहाना लेकर ‘अल्पसंख्यकों’ ने अकारण बिना उकसाये जो सुनियोजित हिंसक हमला किया है, आये दिन ऐसे हमले झेलना अब हिंदुओं की नियति बन चुकी है। आखिर हिंदू कब तक और कहां तक भागेगा? बांग्लादेश से तो ये सोचकर भागे थे कि भारत में सुरक्षित रहेंगे, अब यहां से भागकर कहां जाएंगे?

हत्या, लूटपाट और बर्बरता ‘काफ़िरों’ के साथ
राजा भइया ने लिखा कि संसद से लेकर सड़कों तक आये दिन संविधान लहराने वालों को भी याद रखना चाहिए कि संविधान शिल्पी बाबा साहब के संविधान में वक़्फ़ नाम का शब्द कभी था ही नहीं, न ही उनकी परिकल्पना में इसका कोई औचित्य था। हत्या, लूटपाट और बर्बरता ‘काफ़िरों’ के साथ हो रही है, मारने के पहले किसी की जाति नहीं पूछी जा रही है। सबसे बड़ी विडंबना तो ये है कि पिछड़ों और दलितों के तथाकथित स्वयंभू नेताओं की इसपर मुंह खोलने की हिम्मत तक नहीं है। बिल तो बस बहाना है, मक़्सद ‘काफ़िरों’ को मिटाना है। धर्मो रक्षति रक्षितः


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Mamta Yadav

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