वन नेशन-वन इलेक्शन का फैसला संविधान विरोधी: स्वामी प्रसाद मौर्य

punjabkesari.in Friday, Sep 01, 2023 - 02:22 PM (IST)

लखनऊ: अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने वन नेशन-वन इलेक्शन के फैसले को लेकर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वटी कर कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन का निर्णय संविधान विरोधी है, लोकतंत्र की हत्या कर राजतन्त्र की स्थापना का सरकार का कुत्सित प्रयास है। सरकार के इस निर्णय की घोर भर्त्सना करता हूँ। लोकतंत्र को बचाने के लिये सभी को एकजुट हो जाना चाहिए। गफलत में रहोगे तो संविधान बदल देंगे।

वन नेशन वन इलेक्शन का सीएम योगी ने किया समर्थन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन नेशन वन इलेक्शन मामले में पूर्व राष्ट्रपति मा.रामनाथ कोविंद को कमेटी का अध्यक्ष बनाये जाने पर प्रधानमंत्री हृदय से आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन यह आज की आवश्यकता है, क्योंकि उत्तरप्रदेश जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य की दृष्टि से देखते हुए मुझे लगता है बार बार इलेक्शन विकास कार्यो मे बाधा उत्पन्न करती है, क्योंकि चुनाव प्रक्रिया मे कम से कम डेढ़ महीने का समय लगता है। इन डेढ़ महीने के कार्यकाल मे विकास की सभी प्रक्रिया व नीतिगत निर्णय लेने मे बाधक उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक है कि लोकसभा,विधानसभा,व अन्य सभी चुनाव एकसाथ आयोजित हो। यह एक बेहतरीन पहल है,इससे ब सिर्फ विकास बल्कि लोकतंत्र की समृद्धि और लोकतंत्र की स्थिरता के लिए आवश्यक व अभिनंदनीय पहल है,मै इसका स्वागत करता हूँ।

पूर्व राष्ट्र पति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति का गठन
बता दें कि एक राष्ट्र, एक चुनाव' की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्र पति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। देश में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कैसे कराये जा सकते हैं। देश में 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ हुए थे। उन्होंने बताया कि उम्मीद है कि कोविंद इस संबंध में विशेषज्ञों से बात करेंगे और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ विचार विमर्श करेंगे।

संसद का विशेष सत्र सरकार ने बुलाया 
सरकार द्वारा 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद यह कदम सामने आया है। सरकार ने हालांकि संसद के विशेष सत्र का एजेंडा घोषित नहीं किया है। वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगभग निरंतर चुनाव चक्र से वित्तीय बोझ पड़ने और चुनाव के दौरान विकास कार्य को नुकसान पहुंचने का हवाला देते हुए लोकसभा चुनाव और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विचार पर जोर देते रहे हैं, जिनमें स्थानीय निकायों के चुनाव भी शामिल हैं।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ramkesh

Related News

static