ये कैसा स्कूल! शिक्षिकाएं बच्चों को मारकर भगा देती, पढ़ाने के बजाय चलातीं मोबाइल, व्हाइटनर से हाजरी; फ्रिज में रखी शराब, हेडमास्टर और दो टीचर्स सस्पेंड
punjabkesari.in Tuesday, Sep 09, 2025 - 02:52 PM (IST)

बलिया : उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में बेरूआरवारी के सरकारी प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक और दो शिक्षिकाओं को सोमवार को बच्चों को विद्यालय से मार कर भगा देने और कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में निलम्बित कर दिया गया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीष कुमार सिंह ने मंगलवार को बताया कि बेरूआरवारी के खंड शिक्षा अधिकारी ने पिछली जुलाई को प्रस्तुत की गई अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है कि शिक्षा क्षेत्र बेरूआरवारी के प्राथमिक विद्यालय मैरीटार की सहायक अध्यापक अनीता यादव व सुनीता सिंह अध्यापक उपस्थिति पंजिका पर व्हाइटनर लगाकर अपना हस्ताक्षर बना देती हैं और बच्चों को पढ़ाने के बजाय प्रधानाध्यापक कार्यालय में बैठकर मोबाइल चलाती हैं।
शिक्षिकाएं बच्चों को स्कूल से मार कर भगा देती
सिंह ने बताया कि ऐसी शिकायतें मिल रही थी कि अनीता यादव और सुनीता सिंह बच्चों को अक्सर मारपीट कर स्कूल से भगा देती हैं। जबकि प्रधानाध्यापक ओंकार नाथ सिंह विद्यालय में बाहरी व्यक्तियों को बुलाते हैं और उनके फ्रिज में मादक पदार्थ रखा जाता है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सिंह के मुताबिक इसकी जांच के लिए नगरा और बांसडीह के खंड शिक्षा अधिकारियों की एक समिति गठित की गई। समिति ने पिछली 22 जुलाई को अपनी रिपोर्ट पेश की। जिसमें कहा गया कि प्रधानाध्यापक ओंकार नाथ सिंह और शिक्षिकाओं अनीता यादव और सुनीता सिंह शिक्षण कार्य नहीं करने के लिए स्पष्ट रूप से दोषी हैं तथा तीनों ने कर्तव्य एवं दायित्व के निर्वहन में घोर लापरवाही एवं उदासीनता बरती है। इसके बाद सोमवार को तीनों को निलम्बित कर दिया गया है।
15 दिनों में रिपोर्ट उपलब्ध कराने का दिया गया निर्देश
उन्होंने बताया कि निलम्बित शिक्षिका अनीता यादव को प्राथमिक विद्यालय करमपुर से और सुनीता सिंह को प्राथमिक विद्यालय जानपुर से संबद्ध किया गया है। वहीं, प्रधानाध्यापक ओंकार नाथ सिंह को प्राथमिक विद्यालय आस चौरा से संबद्ध किया गया है। सिंह ने बताया कि इस मामले की अनुशासनिक जांच के लिए रसड़ा के खंड शिक्षा अधिकारी पवन सिंह और मुरली छपरा के खंड शिक्षा अधिकारी पंकज सिंह को जांच अधिकारी बनाया गया है। जांच समिति को तथ्यपरक रिपोर्ट 15 दिनों में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।