फर्जीवाड़े में फंसा असली: एक नाम, 6 नौकरियां, 3 करोड़ की सैलरी! असली अर्पित बोला – ''मैं अकेला हूं, बाकी सब भाग गए''

punjabkesari.in Thursday, Sep 11, 2025 - 12:13 PM (IST)

Hathras News: उत्तर प्रदेश में एक्स-रे टेक्नीशियन की भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जहां एक ही नाम अर्पित सिंह  से 6 अलग-अलग जिलों में सरकारी नौकरी कर ली गई और 3 करोड़ रुपए से ज्यादा की सैलरी भी निकाल ली गई। हैरानी की बात ये है कि असली अर्पित सिंह को खुद भी नहीं पता था कि उसके नाम से कई लोग नौकरी कर रहे हैं।

'मेरा नाम अर्पित सिंह है, लेकिन मैं अकेला हूं... बाकी सब भाग गए'
ये कहना है हाथरस निवासी असली अर्पित सिंह का, जो खुद भी एक्स-रे टेक्नीशियन हैं। उन्होंने बताया कि 5 सितंबर को जब मीडिया में खबर आई, तभी उन्हें पता चला कि उनके नाम से रामपुर, बलरामपुर, बांदा, फर्रुखाबाद, शामली और अमरोहा जैसे जिलों में भी नौकरी की जा रही है। उन्होंने तुरंत अपने सीनियर अधिकारियों को बताया और फिर उन्हें लखनऊ बुलाया गया, जहां बाकी फर्जी अर्पित सिंह भी बुलाए गए थे। लेकिन जैसे ही दस्तावेजों का वेरिफिकेशन शुरू हुआ, बाकी सभी फरार हो गए और अकेले असली अर्पित वहां खड़े रह गए।

एक नाम, पिता का नाम एक – लेकिन आधार और दस्तावेज अलग!
अर्पित ने बताया कि उनके दस्तावेज सही हैं और उनकी नियुक्ति मई में हुई थी। जबकि बाकी फर्जी अर्पित की नियुक्तियां जुलाई-अगस्त में हुईं। उन सभी का आधार नंबर अलग, बाकी दस्तावेज भी अलग थे, लेकिन सिर्फ नाम और पिता का नाम उनके जैसा था।

ये खेल सिर्फ अर्पित के नाम पर नहीं चला
अर्पित ने ये भी बताया कि एक अंकुर नाम के लड़के के नाम से भी दो जिलों में नौकरी चल रही थी। इससे साफ है कि ये कोई छोटा-मोटा झोल नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह का काम है।

असली अर्पित: 'मैं निर्दोष हूं'
अर्पित ने कहा कि उन्होंने खुद अधिकारियों को इस घोटाले की जानकारी दी, और जांच में पूरी तरह से सहयोग किया। बाकी सभी भाग गए, लेकिन वो जांच के दौरान अकेले मौजूद रहे।

फर्जी अर्पितों का क्या हुआ?
रामपुर
यहां 2016 से एक्स-रे टेक्नीशियन की नौकरी कर रहा एक ‘अर्पित’ 2023 में टीबी विभाग में आ गया। 1 सितंबर से वो गायब है। न घर पर है, न फोन ऑन। एफआईआर दर्ज हो चुकी है।

बांदा
यहां के नरैनी सीएचसी में भी फर्जी अर्पित ने 7-8 महीने तक नौकरी की और फिर लापता हो गया। रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।

बलरामपुर
यहां आरोपी के खिलाफ तुरंत कार्रवाई हुई। सीएमओ ने उसका बैंक खाता सीज करवा दिया और पूरा सेवा रिकॉर्ड मंगाया।

फर्रुखाबाद, अमरोहा और शामली
यहां भी अर्पित नाम के फर्जी कर्मचारी तैनात थे जो अब गायब हैं। अमरोहा वाला तो 2016 से 2022 तक नौकरी करता रहा, फिर अचानक गायब हो गया।

राजनीति भी गरमाई
- घोटाले के खुलासे के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं।
- योगी सरकार का कहना है कि ये फर्जी नियुक्तियां पिछली सरकारों में हुई थीं।
- विपक्ष का आरोप है कि मौजूदा सरकार में भी जांच तंत्र पूरी तरह फेल है।

अब सामने आए बड़े सवाल
- एक ही नाम से अलग-अलग जिलों में नियुक्ति कैसे हो गई?
- वेरिफिकेशन में इतनी बड़ी चूक किसकी लापरवाही है?
- क्या विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत थी?
- क्या यह संगठित भर्ती घोटाले का हिस्सा है?


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Content Editor

Anil Kapoor

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