दिव्यांग पति को पीठ पर लादकर ले गई पत्नी, Deputy CM ब्रजेश पाठक का डॉक्टर समेत 3 पर एक्शन, इन लोगों पर गिरी गाज
punjabkesari.in Friday, Mar 07, 2025 - 05:57 PM (IST)

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से बीते दिनों में एक हृदय विदारक मामला सामने आया था। यहां वील चेयर न मिलने पर दिव्यांग पति को पत्नी पीठ पर लादकर सीएमओ कार्यालय पहुंची थी। मामला प्रकाश में आने के बाद तूल पकड़ने लगा। जिलके चलते इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण लखनऊ मंडल को जांच कराने के आदेश दिए थे। जांच में एक डॉक्टर समेत दो कर्मचारियों की लापरवाही सामने आने पर ब्रजेश पाठक के आदेश पर सीएमओ ने सभी पर कार्रवाई की है।
कर्मचारियों की लापरवाही सामने आने पर एक्शन
इस मामले में रायबरेली सीएमओ डॉ. नवीन चन्द्रा ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। जिसमें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अरविन्द कुमार, जतुआटप्पा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ. ब्रजेश कुमार और जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डीएस अस्थाना शामिल थे। सीएमओ द्वारा गठित इस कमेटी की जांच में कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई है। जिसके चलते उप मुख्य चिकित्साधिकारी और जिला दिव्यांग बोर्ड के नोडल अधिकारी डॉ. अम्बिका प्रकाश को मुख्यालय से हटा दिया गया है। वहीं डाटा इंट्री ऑपरेटर अनुकांत आनंद को यूडीआईडी कार्य से हटाकर मूल तैनाती स्थल भेजा गया है। इसके अलावा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अनिल कुमार को निलंबित कर बेलाभेला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से संबद्ध किया गया है। बता दें कि डॉ. अम्बिका प्रकाश को जतुआटप्पा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनाती दी गई है।
दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनवाने सीएमओ कार्यालय गए थे दंपत्ति
गौरोतलब हो कि सीएमओ कार्यालय में दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनाए जाते हैं। बीते दिनों एक महिला अपने दिव्यांग पति का प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सीएमओ कार्यालय पहुंची थी। महिला का आरोप है कि सीएमओ कार्यालय में दिव्यांग पति को व्हील चेयर नहीं मिली। जिसके चलते पत्नी दिव्यांग पति को पीठ पर लाद कर चलने को मजबूर थी। सीएमओ कार्यालय में मौजूद लोगों ने इसका वीडियो बना लिया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सामने सामने आया।
डिप्टी सीएम का बयान
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि दिव्यांग बोर्ड में सभी आवश्यक संसाधन जुटाए जाएं। ताकि किसी भी दिव्यांग को असुविधा न हो। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लापरवाही करने वाले डॉक्टर या कर्मचारियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।