ये बजट नहीं बढ़ा ढोल है जिसमें आवाज़ बहुत है लेकिन अंदर कुछ नहीं है, झोला खाली है: अखिलेश यादव
punjabkesari.in Thursday, Feb 20, 2025 - 03:40 PM (IST)
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Lucknow News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के चौथे बजट को गुरुवार को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में पेशा किया। 8 लाख 8 हजार 736 करोड़ 6 लाख रुपये (8,08,736.06 करोड़ रुपये) के बजट में सरकार ने मिडिल क्लास, युवा, छात्राओं, किसान और महिलाओं के लेकर कई घोषणाएं की, लेकिन मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने बजट को जीरो नंबर दिए।
2027 में सपा सरकार बनाने का दावा
बता दें कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज पेश किये गए बजट को योगी सरकार का आखिरी बजट बताते हुए 2027 में सपा सरकार बनाने का दावा तक ठोक दिया। उन्होंने कहा कि ये बजट नहीं बढ़ा ढोल है जिसमें आवाज़ बहुत है लेकिन अंदर कुछ नहीं है, झोला खाली है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बजट देखकर खुद भाजपा के मंत्रियों के गले सुख गए हैं, क्योंकि मंत्रियों, विधायकों को ही जनता का सामना करना है। बेरोजगारों को इन विधायकों को ही फेस करना होगा। जनता पूछ रही है कि जुमला मंत्रालय के लिए क्या है?
कुछ लोगों ने उर्दू का विरोध भी उर्दू में किया
सपा अध्यक्ष ने कहा कि अंग्रेजी की कहावत "साइलेंस इज गोल्ड" को हिंदी में समझें तो "विद्वानों की सभा में मूढ़ के लिए मौन ही आभूषण होता है"। कुछ लोगों ने उर्दू का विरोध भी उर्दू में किया। उर्दू का विरोध करने वालों ने अपने भाषण में कई बार उर्दू का इस्तेमाल किया। पहले घोषणा पत्र में फसलों का न्यूनतम मूल्य देने की घोषणा की गई थी लेकिन नौ बजट के बाद भी क्या हालात हैं आप जानते हैं। गन्ना किसानों का बकाया ये सरकार नहीं बताती है, गन्ने का मूल्य क्या है ये भी नहीं बताते हैं। डबल इंजन की सरकार ने डबल ब्लंडर किया है।
वित्तमंत्री के गृह जनपद में एंबुलेंस नहीं मिल रही
अखिलेश यादव ने सवाल किया कि इस सरकार ने पहले घोषणा पत्र में छह मेगा फूडपार्क विकसित करने की बात कही थी आज तक एक भी विकसित किया हो तो ये सरकार बताए। पहले घोषणा पत्र में इन्होंने सरकारी नौकरियों में महिलाओं की संख्या दोगुनी करने की बात कही थी, सरकार बताए क्या दोगुनी हुई? वित्तमंत्री के गृह जनपद शाहजहांपुर में ही मेडिकल कॉलेज नहीं चल पा रहा है। वित्तमंत्री के गृह जनपद में एंबुलेंस नहीं मिल रही है। लखनऊ के कैंसर इंस्टीट्यूट में मैं गोरखपुर की एक महिला मरीज़ से मिला। गोरखपुर की महिला मरीज़ को ठीक से इलाज़ नहीं मिल पा रहा है। गोरखपुर के मरीज़ को बीआरडी गोरखपुर, एम्स में इलाज नहीं मिल पा रहा है उस बेटी को इलाज के लिए हमारी सरकार में बनाए कैंसर इंस्टीट्यूट में लखनऊ आना पड़ा। ओपीडी में ज़मीन पर बिस्तर बिछा कर मरीज बैठते हैं। कैंसर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर हम लोगों से मिलने ही नहीं आए क्योंकि उनके पास हमारे सवालों के जवाब नहीं हैं। हम उत्तराखंड में अब ज़मीन नहीं ले सकते वहां ऐसा कानून बना दिया। जट में सब धोखा ही धोखा है।