6 दिसंबर: बाबरी मस्जिद विध्वंस के तीन दशक बाद अयोध्या में अब सामान्य दिनचर्या, न कोई डर, न संशय

punjabkesari.in Monday, Dec 05, 2022 - 11:18 PM (IST)

अयोध्या: अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के तीन दशक बाद तीर्थ नगरी के लोग सारी कड़वाहट भूलकर आगे बढ़ गये हैं और डर व संशय की बजाय मंगलवार को ढांचा ध्‍वंस की तीसवीं बरसी को सामान्य दिन के रूप में ले रहे हैं। अब पहले की तरह बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी की पूर्व संध्‍या पर अयोध्या पुलिस छावनी और बख्तरबंद किले की तरह भी नहीं दिखता लेकिन जिला प्रशासन ने फिर भी एहतियात के तौर पर छह दिसंबर को अयोध्या में बाबरी ध्‍वंस बरसी के मौके पर सुरक्षा की व्यवस्था की है।

अयोध्या के माहौल में बदलाव का आलम यह है कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा छह दिसंबर को न तो "शौर्य दिवस" मनाया जाएगा और न ही मुस्लिम पक्ष इस बार इसे "काला दिवस" के रूप में मनाएगा। उच्चतम न्यायालय के 2019 में फैसले के साथ राम जन्मभूमि विवाद समाप्त हो गया। दोनों समुदायों के लोग शांतिपूर्ण माहौल के लिए आगे बढ़े हैं और मस्जिद विध्वंस की सालगिरह को चिह्नित करने के लिए मंगलवार को कोई आयोजन नहीं होंगे।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मुनिराज जी ने कहा, ‘‘अयोध्या में स्थिति शांतिपूर्ण है और हमने छह दिसंबर के लिए नियमित व्यवस्था की है।'' ऐसा लगता है कि दोनों पक्ष उच्चतम न्यायालय के फैसले द्वारा उन्हें प्रदान की गई भूमि पर अपने संबंधित नए ढांचे (मंदिर-मस्जिद) को विकसित करने के बारे में अधिक चिंतित हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय, जिन्हें विशाल राम मंदिर के निर्माण का काम सौंपा गया है, पहले ही कह चुके हैं कि भक्त जनवरी 2024 से नए मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त, 2020 में राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में आधारशिला रखी और तबसे तेज गति से मंदिर निर्माण का कार्य जारी है।

इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने भी कहा है कि अयोध्या मस्जिद दिसंबर 2023 तक तैयार हो जाएगी। शीर्ष अदालत के आदेश द्वारा प्रदान की गई पांच एकड़ भूमि पर नई मस्जिद बनाने के काम की जिम्मेदारी अतहर हुसैन संभाल रहे हैं। मणिराम दास छावनी इलाके के पास मुख्य सड़क पर एक दुकान चलाने वाले कृष्ण कुमार याद कहते हैं कि तीन दशकों से अयोध्या कैसे बदल गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पिछले 35 वर्षों से इस दुकान का मालिक हूं और मैं कह सकता हूं कि आज अयोध्या में वातावरण अच्छा है। हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच कोई तनाव या ऐसी कोई बात नहीं है। हम सब चैन से रहते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘जब विध्वंस हुआ तब मैं लगभग 20 साल का था, तब माहौल भी 'राममय' था। बाहर से कारसेवक आये थे और तब तनाव था, लेकिन ऐसा कोई डर नहीं था।''

विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, ‘‘हिंदू पक्ष के पक्ष में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ, उसके बाद छह दिसंबर को आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रम धीरे-धीरे शांत हो गए।'' उन्होंने कहा, “जहां तक छह दिसंबर को मनाए जाने वाले शौर्य दिवस की बात है तो उसको पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है क्योंकि हमारा मुख्य संकल्प पूरा हो गया और उसके बाद हम चाहते कि एक शांतिपूर्ण वातावरण हो। इसलिए सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि ऐसा कोई भी आयोजन न किया जाए जिससे किसी प्रकार का तनाव उत्पन्न हो या किसी को ठेस पहुँचे।''

हालांकि, मुस्लिम पक्ष अभी भी महसूस करता है कि बाबरी विध्वंस के बाद मारे गए लोगों के परिवारों को अभी तक न्याय नहीं मिला है। पिछले कई सालों की तरह छह दिसंबर को अयोध्या में दो 'कुरान खानी' (पाक कुरान का पाठ) कार्यक्रम हो रहे हैं। ‘अंजुमन मुहाफिज मस्जिद मकाबिर कमेटी, अयोध्या के सचिव मोहम्मद आजम कादरी ने कहा, “बाबरी मस्जिद के विध्वंस को कल 30 साल पूरे हो रहे हैं और यह वह समय है जब हम हिंसा में मारे गए लोगों को याद करते हैं। हमें किसी से कोई गिला शिकवा नहीं है लेकिन फिर भी जो मारे गए उन्हें इंसाफ नहीं मिला। मुसलमान आमतौर पर उन लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं जो हिंसा के दौरान मारे गए थे और दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए छह दिसंबर को कुछ स्थानों पर कुरान खानी का आयोजन किया जाता है। कल हम अयोध्या में दो मस्जिदों में कुरान खानी का कार्यक्रम कर रहे हैं।”

एक अन्य स्थानीय निवासी मोहम्मद शाहिद अली याद करते हैं कि कैसे भीड़ के हिंसक हो जाने पर उन्हें उनके हिंदू पड़ोसियों ने कई अन्य मुसलमानों के साथ बचाया था। विहिप नेता ने कहा, ‘‘हम ऐसा कोई काम नहीं करना चाहते हैं जो विश्वास और सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाए।'' एक स्थानीय व्यापारी निमित पांडे ने कहा, ‘‘अयोध्या में स्थिति शांतिपूर्ण है। अयोध्या में रहने वालों के लिए छह दिसंबर अब किसी अन्य दिन की तरह है। कुछ साल पहले वहां बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं होता है।'' जहां पिछले वर्षों में भारी पुलिस बल के साथ जिला छह दिसंबर के आसपास किले में बदल जाता था, वहीं अधिकारी इस बार इसे नियमित घटना मान रहे हैं। एसएसपी ने कहा कि अयोध्या के आठ प्रमुख प्रवेश और निकास बिंदुओं पर तैनात पुलिस दलों और राम मंदिर परिसर के आसपास तैनात पुलिस टीमों को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Mamta Yadav

Recommended News

Related News

static