Gonda: पर्यवेक्षण में लापरवाही बरतने पर निबंधन विभाग के दो अधिकारी निलंबित

punjabkesari.in Friday, Nov 04, 2022 - 11:00 PM (IST)

गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में उपनिबंधक कार्यालय में अभिलेखों में हेराफेरी कर जमीन बैनामा कराने के संबंध में शासन ने निबंधन विभाग के दो अधिकारियों को पर्यवेक्षण में लापरवाही बरतने का दोषी ठहराते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह जानकारी देते हुए जिलाधिकारी डॉ. उज्ज्वल कुमार ने शुक्रवार को यहां बताया कि उपनिबंधक सदर कार्यालय में अभिलेखों में हेराफेरी करके एक गिरोह द्वारा पिछले कुछ वर्षों में कई फर्जी बैनामे कराए जाने की सूचना मिली थी। उन्होंने कहा कि इस हेराफेरी को सुनियोजित तरीके से कूटरचित दस्तावेजों के सहारे किया गया।

जिलाधिकारी ने कहा कि यह प्रकरण संज्ञान में आने पर विस्तृत जांच कराई गई, तो 47 ऐसे मामले सामने आए। उन्होंने कहा कि निबंधन कार्यालय की मिलीभगत से कूटरचित दस्तावेजों के सहारे बैनामा करके जमीन हथियाई गई। जिलाधिकारी ने कहा कि इस संबंध में उनके द्वारा शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट पर प्रमुख सचिव निबंधन एवं स्टांप वीना कुमारी ने तत्कालीन सहायक महानिरीक्षक निबंधन एवं स्टांप अरुण कुमार मिश्र (वर्तमान में डीआइजी गाजियाबाद) तथा गोंडा के वर्तमान सहायक महानिरीक्षक निबंधन एवं स्टांप मनोज कुमार श्रीवास्तव को लचर पर्यवेक्षण का दोषी ठहराते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में दोनों अधिकारी महानिरीक्षक निबंधन के कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।

कुमार ने कहा कि शासन ने प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए गोंडा के अपर जिलाधिकारी सुरेश कुमार सोनी को जांच अधिकारी नामित किया है। देवीपाटन परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआइजी) उपेंद्र कुमार अग्रवाल ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि अभिलेखों में हेराफेरी कर जमीन बैनामा कराने का खेल जिले में काफी दिनों से चल रहा था। उन्होंने कहा कि जनता दर्शन के दौरान फरियादियों द्वारा इस संबंध में शिकायतें मिलने पर उन्होंने ऐसे मामलों में अभियोग दर्ज करवाना शुरू किया तो एक के बाद एक 28 मामले अब तक संज्ञान में आए हैं। इन मामलों में थाना कोतवाली नगर में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। अधिकांश मामलों में प्रथम दृष्टया विभागीय कर्मचारियों, कुछ अधिवक्ताओं व जमीन घोटाले से जुड़े लोगों के नाम सामने आ रहे हैं।

डीआइजी ने बताया कि उन्होंने दर्ज सभी अभियोगों की जांच शासन स्तर पर विशेष जांच टीम (एसआइटी) बनाकर किए जाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि इस फर्जीवाड़े से जुड़े लोगों ने अधिकांश मामलों में ऐसे व्यक्तियों को दस्तोवजों में क्रेता, विक्रेता और हासिया गवाह बनाया है, जिनकी अब मौत हो चुकी है। परिणाम स्वरूप उनके खिलाफ कोई कार्रवाई किया जाना संभव ही नहीं है। उन्होंने बताया कि जिले में अभी और भी ऐसे मामले होने की संभावना है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Mamta Yadav

Recommended News

Related News

static