UP Nikay Chunav: OBC आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

punjabkesari.in Wednesday, Jan 04, 2023 - 04:36 PM (IST)

लखनऊ: UP Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई  हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में निकाय चुनाव कराने के हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।  इस दौरान कोर्ट ने सरकार से कई सवाल पूछे। यूपी सरकार ने चुनाव कराने को लेकर कोर्ट से तीन महीने का समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह समय बहुत ज्यादा है। कोर्ट ने कहा कि क्या इससे कम समय में प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती है क्या? 

सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण बातें
1- हाई कोर्ट ने आरक्षण संबंधी सभी तथ्य नहीं देखें
2- सरकार ने आरक्षण का ध्यान नहीं रखा। 
3- जल्द चुनाव कराने के फैसले पर रोक। 
4- तीन हफ्तों के बाद होगी मामले की सुनवाई। 
5- ओबीसी आयोग 31 मार्च तक अपनी रिपोर्ट देगा । 

बता दें कि, इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को समाप्त कर दिया है। वहीं कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार तय समय पर चुनाव कराए। सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के आधार पर आरक्षण देने का फैसला लिया। इसके लिए सरकार ने ओबीसी आयोग का गठन कर दिया। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए का कि स्थानीय निकाय चुनाव में आयोग की रिपोर्ट आने के बाद चुनाव कराया जाएगा।

OBC reservation के लिए सरकार ने आयोग का गठन किया
कोर्ट के आदेश के बाद दो दिन बाद ही इस मामले में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया। सरकार ने अपने आदेश में कहा कि संविधान में दिए गए अधिकारों के तहर ओबीसी को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग आयोग की पहली बैठक शनिवार को हुई जिसमें प्रदेशव्यापी सर्वेक्षण के संबंध में नीतियों और प्रक्रियाओं पर विमर्श हुआ और उम्मीद जताई गई कि जनप्रतिनिधि उचित जानकारी मुहैया कराएंगे।

सरकार ने पांच सदस्यीय टीम का किया है गठन
उन्होंने बताया कि आयोग ने अब विधिवत कामकाज शुरू कर दिया है, बैठक हर दिन होगी। उनका कहना था कि यह बिल्कुल नया कार्य है, ऐसे में सभी बिंदुओं पर गहन विचार-विमर्श के बाद ही कार्यवाही की जाएगी। इस आयोग के अन्य चार सदस्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा और महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और बृजेश कुमार सोनी हैं। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल से मंजूरी के बाद की गई है। नगर विकास विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, इस आयोग का कार्यकाल अध्यक्ष और सदस्यों के पदभार ग्रहण करने के दिन से छह महीने के लिए होगा। उल्लेखनीय है कि इस आयोग का गठन इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर मसौदे को खारिज कर देने और ओबीसी को बगैर आरक्षण दिए स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिए जाने के बाद किया गया है ।

ये है ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला
1- राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना।
2- आयोग की सिफारिशों के मुताबिक स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो।
3- किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50% से अधिक नहीं होगा।


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Content Writer

Ramkesh

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