जस्टिस शेखर यादव के बयान का विहिप ने किया समर्थन, कहा- हम ऐसे "जागरूकता सम्मेलन" चलाएंगे
punjabkesari.in Tuesday, Dec 10, 2024 - 07:06 PM (IST)
लखनऊ: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रमुख आलोक कुमार ने प्रयागराज में परिषद के एक कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शेखर यादव के शामिल होने एवं उनके संबोधन को लेकर विपक्ष की आलोचना को मंगलवार को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के "जागरूकता सम्मेलन" आयोजित किये जाते रहेंगे। विहिप के विधि प्रकोष्ठ एवं उच्च न्यायालय इकाई के प्रांतीय सम्मेलन के दौरान रविवार को न्यायमूर्ति यादव ने समान नागरिक संहिता और अन्य मुद्दों पर बात की। बहुमत के अनुसार काम करने वाले कानून सहित विभिन्न मुद्दों पर न्यायमूर्ति यादव के वीडियो एक दिन बाद व्यापक रूप से प्रसारित हो गये। इसपर विपक्षी दलों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार ने मंगलवार को कहा कि वह प्रयागराज बैठक में मौजूद नहीं थे, लेकिन निश्चित रूप से इस विषय में जानते हैं।
समान नागरिक संहिता पर न्यायाधीश ने दिया था बयाान
कुमार ने बताया, ‘‘हमने न्यायाधीश को समान नागरिक संहिता पर बोलने के लिए वक्ता के रूप में आमंत्रित किया था। हम पूर्व न्यायाधीशों के बीच काम करते हैं, उन्हें विहिप और हिंदुत्व के लिए काम करने के लिए आमंत्रित करते हैं। लेकिन जहां तक मौजूदा न्यायाधीशों का सवाल है, हम उनसे विहिप के लिए काम करने की उम्मीद नहीं करते। कभी-कभी समान नागरिक संहिता जैसे विषयों पर प्रकाश डालने के लिए हम उन्हें आमंत्रित करते हैं।" कुमार ने कहा, "इसलिए, समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने बैठक में कहा कि यह राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत एक संवैधानिक आदेश है। उन्होंने कहा कि यह उम्मीद की जानी चाहिए कि निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने "बहुमत" को लेकर की टिप्पणी
कुमार के अनुसार, ‘‘उन्होंने (न्यायमूर्ति यादव ने) उच्चतम न्यायालय के अलग-अलग निर्णयों का हवाला दिया, जिसमें जोर दिया गया था कि सरकारों को एक समान नागरिक संहिता विकसित करनी चाहिए और कहा कि समान नागरिक संहिता समाज के पूर्ण एकीकरण और भारत की एकता के लिए अच्छा होगा।'' विहिप नेता ने कहा कि उन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा "बहुमत" पर की गई टिप्पणियों की वास्तविक प्रकृति की जानकारी नहीं है, लेकिन यदि न्यायाधीश ने बहुमत के बारे में ऐसा कहा भी हो, तो मुझे इसमें कुछ आपत्तिजनक नही लगता। कुमार ने कहा, ‘‘हमने न्यायाधीश को समान नागरिक संहिता पर बोलने के लिए आमंत्रित किया था। मैं उनके विचारों को प्रमाणित नहीं कर पाऊंगा, फिर भी बहुसंख्यक समाज की भावनाओं को अल्पसंख्यकों के प्रति संवेदनशीलता की तरह ही सम्मान मिलना चाहिए।
भारत में इस्लाम को मामले वाले अल्पसंख्यक
उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, गायों के प्रति हमारा सम्मान है। वे गायों का सम्मान कर सकते हैं या नहीं भी कर सकते हैं। हम सभी को गायों का सम्मान करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। लेकिन फिर, हमारी संवेदनशीलताओं को देखते हुए, अन्य लोग गोहत्या पर जोर नहीं दे सकते... (और) यदि उनके पास कुछ अन्य विषयों पर यदि संवेदनशीलताएं हैं, तो उनका भी सम्मान किया जाना चाहिए। विहिप नेता ने कहा, ‘‘भारत में इस्लाम के मानने वाले तकनीकी रूप से अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उनकी अच्छी संख्या को देखते हुए, वे भारत में दूसरे नंबर पर बहुसंख्यक हैं। इसलिए, जब तक हम परस्पर सम्मान नहीं करते, या सम्मान नहीं तो कम से कम एक-दूसरे की संवेदनशीलता के प्रति आपसी सहिष्णुता विकसित नहीं करते, तब तक कोई एकीकरण नहीं हो सकता।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, अगर उन्होंने (उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने) ऐसा कुछ कहा है, तो मुझे इसके लिए खेद नहीं होगा। अगर बहुमत का कोई खास दृष्टिकोण है, तो दूसरों को इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।'' कार्यक्रम में एक मौजूदा न्यायाधीश को आमंत्रित किये जाने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, ‘‘हम अपने कानूनी प्रकोष्ठ से हिंदू मंदिरों की मुक्ति, वक्फ अधिनियम के प्रावधानों एवं संशोधनों और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर वकालत करने के लिए बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं को आमंत्रित करते हुए जागरूकता सत्र या बैठकें आयोजित करने को कहते हैं। इसलिए हर जगह बैठकें होंती रहेंगी।
विहिप प्रमुख ने कहा, ‘‘हम उन पहलुओं पर बोलने के लिए पूर्व न्यायाधीशों को आमंत्रित करेंगे।'' इस बीच, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति यादव के आचरण की "इन-हाउस जांच" की मांग की। भूषण ने अपने पत्र में कहा है कि न्यायमूर्ति यादव ने यूसीसी का समर्थन करते हुए एक भाषण दिया, विवादास्पद टिप्पणी की, जिसे मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाला माना जाता है। सितंबर 2021 में न्यायमूर्ति शेखर यादव ने गायों के वध पर एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था, "गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए और गोरक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार माना जाना चाहिए, क्योंकि जब देश की संस्कृति और आस्था को ठेस पहुंचती है, तो देश कमजोर हो जाता है।" उन्होंने कहा था कि गाय भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उन्होंने कहा था, ‘‘भारतीय वेदों, पुराणों, रामायण आदि में गाय का बहुत महत्व दिखाया गया है। इस कारण, गाय हमारी संस्कृति का आधार है।" इस बारे में विहिप के अंतरराष्ट्रीय प्रमुख ने यह भी कहा कि उन्हें न्यायमूर्ति यादव द्वारा की गयी अन्य कथित टिप्पणियों के बारे में जानकारी नहीं है ।