यूपी में उपचुनावः जहां मैदान में नहीं है हाथी, वहां BSP का वोट किसका बनेगा साथी?

punjabkesari.in Thursday, Nov 17, 2022 - 03:16 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 संपन्न होने के बाद तीसरी बार उपचुनाव हो रहा है। इस बार लोकसभा की एक और विधानसभा की दो सीट पर उपचुनाव हो रहा है। इससे पहले दो लोकसभा और एक विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुका है। ऐसे में एक तरफ जहां सत्ताधारी बीजेपी पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरी है तो दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल सपा भी मुकाबले में मैदान में है। इस बार के उपचुनाव में प्रदेश में चार बार सत्ता में रही बीएसपी और आज़ादी के बाद 4 दशक तक सत्ता में रही कांग्रेस उपचुनाव में हिस्सा ही नहीं ले रही है। सवाल ये है कि आखिर सपा को छोड़कर बीएसपी, कांग्रेस व अन्य छोटे दल उपचुनाव से भागते क्यों नज़र आ रहे हैं। 

विधानसभा चुनाव के बाद तीसरी बार उपचुनाव
यूपी के विधानसभा चुनाव 2022 होने के बाद लोकसभा की दो सीटें आज़मगढ़ और रामपुर खाली हो गई थी। इन सीटों में आज़मगढ़ से अखिलेश यादव और रामपुर से आज़म खान के इस्तीफे के बाद उपचुनाव कराया गया। दोनों सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई। इस उपचुनाव में जहां सपा चुनाव मैदान में उतरी तो वहीं बीएसपी, कांग्रेस समेत दूसरे दल नज़र नहीं आएं।लखीमपुर खीरी के गोला सीट पर हुए उपचुनाव में सपा भाजपा ही मैदान उतरी थी। यूपी में एक बार फिर उपचुनाव का बिगुल बज चुका है। ये उपचुनाव एक लोकसभा सीट और 2 विधानसभा सीट पर हो रहा है। इसमें मैनपुरी लोकसभा सीट मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई है। जबकि रामपुर विधानसभा सीट सपा के आज़म खान और खतौली विधानसभा सीट बीजेपी के विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द होने की वजह से खाली हुई है। अब इन तीनों सीटों पर उपचुनाव हो रहा है।

मैदान में नही उतरी बीएसपी
पिछली बार की तरह इस बार भी उपचुनाव में बीएसपी मैदान में नही उतरी है। यूपी में चार बार सत्ता में रही बीएसपी का 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। बीएसपी इस चुनाव में एक सीट तक सिमट गई। वहीं उसका वोट बैंक करीब 12 फीसदी के आसपास आ गया। प्रदेश की चार बार कमान संभालने वाली मायावती ने हर बार की तरह इस बार भी उपचुनाव से दूरी बनाए रखी। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक पहले ये माना जा रहा था कि उपचुनाव में बीएसपी मैदान में उतरने का फैसला कर सकती है, लेकिन अंतिम समय में एक बार फिर बीएसपी मैदान से बाहर हो गई। 

कांग्रेस उपचुनाव से बनाई दूरी
यूपी में कांग्रेस की नई टीम आने के बाद क्यास लग रहे थे कि इस बार के उपचुनाव में कांग्रेस मैदान में उतर कर चुनाव लड़ेगी। नई टीम में एक अध्यक्ष और 6 फ्रांतीय अध्यक्ष के फार्मूले के साथ नया प्रयोग करने की कोशिश भले ही कांग्रेस हाईकमान ने की हो लेकिन उपचुनाव में न उतरने का फैसला कांग्रेस के ही कार्यकर्ताओं के गले नही उतर रहा है। कांग्रेस की महासचिव और यूपी प्रभारी बनने के बाद प्रियंका गांधी लगातार नये-नये प्रयोग कर रही हैं। कभी महिलाओं को 40 फीसदी टिकट तो कभी लड़ हूं लड़ सकती हूं का नारा... और अब एक अध्यक्ष के साथ 6 प्रांतीय अध्यक्ष का नया प्रयोग... पर एक बात तो तय है कि पार्टी भले ही लाख दावे करे लेकिन उपचुनाव न लड़ने से उसकी क्षमता पर सवाल तो ज़रूर खड़े हो रहे हैं।

अन्य छोटे दल
यूपी में क्षेत्रीय राजनीति करने वाले सैकड़ों दल सक्रिय हैं। इनमें से कई दल ऐसे हैं जो चुनाव मैदान में ताल ठोकते नज़र आते हैं। पर अगर उपचुनाव की बात करें तो ज़्यादातर दल मैदान में नज़र ही नहीं आते। सत्ताधारी दल का विरोध करने वाली पार्टियां उपचुनाव से कन्नी काटे रहती है। वहीं बीजेपी के सहयोगी दलों की बात करें तो वो उपचुनाव में लड़ने के नाम पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं रहते। ये दल सिर्फ सत्ता का समर्थन करते नज़र आते हैं। दरअसल अगर यूपी में छोटे दलों का इतिहास देखें तो सत्ता में शामिल दल भी उपचुनाव में अपने सहयोगी से न सिर्फ सीटों की मांग करते रहे हैं बल्कि वो उपचुनाव में मैदान में उतरे भी हैं।

विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजों के बाद एक बात तो साफ है कि यूपी में दो ही दलों को आम मतदाताओं का भरपूर समर्थन मिला। बाकी दल कुछ सीटों पर ही सिमट गए। दूसरी तरफ उपचुनाव में सिर्फ बीजेपी और सपा ही आमने सामने नज़र आते हैं। ऐसे में लड़ाई से पहले ही मैदान में न उतरने वाले दलों के लेकर आम जनता में कई तरह के सवाल पैदा हो रहे हैं। दरअसल राजनीति में चुनाव ही सबसे बड़ा पर्व होता है। अगर ऐसे में राजनीति करने वाले दल चुनाव या उपचुनाव से ही दूर रहेंगे तो आम वोटर उनमें कैसे विश्वास जताएगा। सवाल हार जीत का नहीं है बल्कि बड़ा सवाल ये है कि आखिर मैदान में उतर कर मुकाबला किसने किया....


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Content Writer

Imran

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