2022 चुनाव से पहले बड़े ब्राह्मण चेहरे का BJP में जाना कांग्रेस के लिए सिरदर्दी, पढ़िए ''जितिन'' ने क्यों छोड़ी पार्टी
punjabkesari.in Wednesday, Jun 09, 2021 - 05:46 PM (IST)

लखनऊः राजनीति के खेल की बाजी कब कैसे पलट जाए इसका अंदाजा नहीं लगाया सकता है। ऐसा ही उलटफेर यूपी पंचायत चुनाव से पहले शुरू हो गया है। जहां कल तक कांग्रेसी नारों में दम भरने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद आज बीजेपी का हाथ थाम कर सियासी गलियारों में सुर्खियां बटौर रहे हैं। जितिन प्रसाद यूपी की ब्राह्मण राजनीति का जाना माना चेहरा माने जाते हैं। 2022 के चुनावों से पहले ये सियासी घटनाक्रम कांग्रेस के लिए सिर दर्द बन सकता है।
गौर किया जाए तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के यूपी में सक्रिय होने के बाद से ही जितिन प्रसाद पार्टी लाइन से खफा नजर आ रहे थे। वहींपार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस में प्रदेश स्तर पर किसी भी फैसले में शामिल न किए जाने से वह खफा थे। उनका गुस्सा तब और बढ़ गया, जब उनकी जानकारी के बिना ही शाहजहांपुर में जिला कांग्रेस अध्यक्ष बदल दिया गया।
प्रसाद के साथ बीते कुछ महीनों में काम करने वाले एक लीडर ने कहा, 'उनका कहना था कि शाहजहांपुर में उन लोगों को कांग्रेस ज्यादा महत्व दे रही है, जो सपा छोड़कर आए हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए सालों तक काम करने वाले लोगों को हाशिये पर डाल दिया गया है।' नेतृत्व से नाराजगी का ही असर था कि जी-23 के नेताओं में वह भी शामिल थे और पार्टी में सुधार के लिए लीडरशिप को पत्र भी लिखा था।
जितिन प्रसाद का सियासी सफर
जितिन प्रसाद खानदानी राजनीतिज्ञ हैं। उनके पिता जितेन्द्र प्रसाद खांटी कांग्रेसी थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राजनीतिक सलाहकार जितेन्द्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद का सियासी सफर करीब 20 वर्ष पुराना है. जितिन प्रसाद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत साल 2001 में की थी। इस दौरान वो यूथ कांग्रेस में सचिव बने थे। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में वह अपनी गृह लोकसभा सीट शाहजहांपुर से जीतकर संसद पहुंचे। साल 2008 में अखिलेश दास को हटाकर कांग्रेस हाईकमान ने पहली बार जितिन प्रसाद केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया।
इसके बाद 2009 में जितिन प्रसाद ने धौरहरा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2009-11 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री रहे, इसके बाद 2011-12 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और 2012-14 तक मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय का कार्यभार संभाला, लेकिन इसके बाद से वो दोबारा चुनाव नहीं जीत सके। कांग्रेस ने जितिन प्रसाद को 2014 में धौरहरा सीट से एक बार फिर मैदान में उतारा, लेकिन जीत नहीं दर्ज कर सके।
2017 में तिलहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े, लेकिन यह चुनाव भी नहीं जीते जबकि उनको तब सपा का समर्थन हासिल था। इसके बाद 2019 में धौरहरा से फिर लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसके बाद प्रियंका गांधी ने जितिन प्रसाद को महत्व नहीं दिया, जिसके चलते वह नाराज चल रहे थे।