पानी से टपकती छत, गिरता मलबा और जहरीले कीड़ों का खौफ.... एक ऐसा स्कूल जहां जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर छात्राएं
punjabkesari.in Sunday, Sep 22, 2024 - 03:39 PM (IST)
Mahoba News: (अमित श्रोतीय) आपने सरकारी विद्यालयों के कायाकल्प के बारे मेंजरुर देखा और सुना होगा, लेकिन हम आपको उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के एक ऐसे बालिका इण्टर कॉलेज के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। जहां छात्राएं जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण कर रही है। जिसने भी इस मामले के बारे में जाना वह शिक्षा विभाग की लापरवाही पर सहम गया। खंडहर में चल रहा स्कूल छात्राओं की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है। यह विद्यालय कम भूतिया महल ज्यादा लगता है।
जी हां.. हम बात कर रहे हैं महोबा जिले के कुलपहाड़ के रियासत कालीन भवन में संचालित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की। जिस बिल्डिंग को 1997 में बेकार बताकर तहसील को नए भवन में शिफ्ट कर दिया गया और उसी भवन में राजकीय बालिका इण्टर कालेज संचालित किया जाने लगा। विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं को आजतक मेज कुर्सी नसीब नहीं हुई। प्राइमरी विद्यालयों की तरह छात्राएं आज भी जमीन में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रही है, लेकिन इन छात्राओं के सामने सबसे बड़ी समस्या विद्यालय की जर्जर बिल्डिंग है। जिसकी छत आय दिन टूट कर गिरती रहती है जिसमें कई बार छात्राएं घायल हो चुकी है । छात्राओं ने बताया कि वे भले की अलग-अलग क्लास में पढ़ती हो लेकिन कमरे न होने की वजह से उन्हें मजबूरन एक गैलरी के नीचे बैठ कर पढ़ना पढ़ता है। आपकों बता दें कि यह विद्यालय किसी अजूबे से कम नहीं है। यहां कक्षा 9 से 12 तक की सभी छात्राओं को एक गैलरी में एक साथ बैठाकर पढ़ाया जाता है। छात्राओं ने बताया कि बारिश के मौसम में विद्यालय में जहरीले कीड़े निकलते हैं और यदि तेज बारिस हो गई तो टपकती छत के कारण विद्यालय की छुट्टी हो जाती है।
आज प्रदेश में भले ही इंटर कॉलेजों को भव्य बनाया जा रहा हो लेकिन, कुलपहाड़ में खंडहर नुमा भवन में संचालित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज अपने कायाकल्प की राह देख रहा है। इस विद्यालय में 9 से 12 तक 4 क्लास की छात्राएं एक साथ एक गैलरी में पढ़ती हैं। छात्राओं ने बताया कि जब मैडम पढ़ाती है तो यह भी समझ में नहीं आता की क्या पढ़ रहे हैं और कौन सी क्लास का पढ़ाया जा रहा है।
कहने को भले ही यह राजकीय बालिका इंटर कॉलेज है लेकिन जब आप इस स्कूल के प्रवेश द्वार से होते हुए अंदर आएंगे तो आपको लगेगा कि आप आजादी के पूर्व किसी विद्यालय में आ गए हैं। इस इंटर कॉलेज में साइंस और आर्ट साइड की छात्राएं पढ़ती है लेकिन दुर्भाग्य है कि कमरे न होने के कारण सिर्फ आर्ट साइड की क्लास ही चल पाती हैं । जब छात्राओं के बैठने की व्यवस्था नहीं है तो छात्राओं के प्रक्टिकल के लिए लैब कैसे संभव हो सकती है। पढ़ाई के लिए कमरे न होने की वजह से साइंस लेने वाली छात्राओं को दूसरे विद्यालय में जाना पड़ता है। विद्यालय के प्रिंसिपल विद्यालय के बारे मे बताते हुए भयभीत हो जाती है। विद्यालय की प्रधानाचार्य राखी की मानें तो बारिश के मौसम में सांप, बिच्छुओं का निकलना आम बात है। इसके अलावा बारिश में पानी टपकने की वजह से स्कूल बंद करना पड़ता है, क्योंकि कभी भी बिल्डिंग भरभराकर गिर सकती है। बाबजूद खौफ के साए में शिक्षण कार्य किया जा रहा है। यदि समय रहते जिम्मेदार नहीं जागे तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
विद्यालय की अध्यापिका अनामिका ने बताया कि इस बारिश के मौसम में छतों से पानी टपकता है, विद्यालय के मैदान में लगे वृक्ष की डाल टूटते हैं। जिससे डर रहता है कि कहीं किसी छात्रा या टीचर्स पर न गिर जाए । इस विद्यालय में पानी भरा जाता है जिससे न चाहते हुए इस विद्यालय की छुट्टी करनी पड़ती है। बिल्डिंग की यह कंडीशन है कि यदि छात्राएं ना हो तो अकेला आदमी भी इस विद्यालय में आने से डरता है। विद्यालय के बिल्डिंग के बारे में कई बार सीनियर अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है लेकिन आज तक उनके लिए बन रही बिल्डिंग का कार्य पूरा नही हो पा रहा। महोबा के इस विद्यालय के लिए नए भवन को लेकर कई बार मांगें की गई, जिसके बाद विद्यालय की बिल्डिंग का काम शुरू हुआ, जो आज तक अधर पर लटका हुआ है। इस इंटर कॉलेज की हालत में कोई सुधार नहीं हो सका। यदि समय रहते इस विद्यालय को जल्द कहीं शिफ्ट न किया गया तो कोई बडा हादसा हो सकता है।