शर्मनाक! स्कूल में छात्रा को आया पीरियड तो लेडी टीचर ने किया क्लासरूम से बाहर, अब शिक्षिका और प्रिंसिपल पर हुई ये कार्रवाई
punjabkesari.in Tuesday, Feb 04, 2025 - 07:57 AM (IST)
Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जहां एक छात्रा को स्कूल के अंदर पीरियड आने पर सैनिटरी पैड नहीं दिया गया। इस मामले में स्कूल की प्रिंसिपल और एक शिक्षिका को दोषी पाया गया है। जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) अजीत कुमार ने इस मामले की जांच के लिए 2 सदस्यीय टीम बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट डीआईओएस को सौंपी। इसके बाद डीआईओएस ने स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर प्रिंसिपल और शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए।
स्कूल के समय में शुरू हुआ पीरियड
यह घटना बरेली के रिक्की सिंह गर्ल्स इंटर कॉलेज की है। 25 जनवरी को स्कूल टाइम के दौरान एक छात्रा को ब्लीडिंग होने लगी। जब छात्रा ने शिक्षिका से सैनिटरी पैड की मदद मांगी, तो शिक्षिका ने उसे क्लासरूम के बाहर खड़ा कर दिया और कोई सहायता नहीं की। इस कदर घबराई हुई छात्रा घर लौट आई। इसके बाद छात्रा के परिवार ने इस घटना की शिकायत महिला आयोग और जिलाधिकारी से की। इस शिकायत के आधार पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने मामले की जांच शुरू की।
बेइज्जती और मदद न मिलने से छात्रा परेशान
स्कूल टाइम में जब छात्रा को पीरियड हुआ, तो वह बार-बार शिक्षिका से सैनिटरी पैड की मांग कर रही थी, लेकिन शिक्षिका ने उसकी कोई मदद नहीं की। इसके बजाय, उसने छात्रा को क्लासरूम के बाहर खड़ा कर दिया और बाकी छात्रों के सामने उसकी बेइज्जती की। छात्रा के साथ हुई इस घटना से वह इतना परेशान हो गई कि उसने घर लौटने का निर्णय लिया। घर पहुंचने पर उसने पूरी घटना अपने परिवार को बताई, जिसके बाद मामले की शिकायत की गई।
सभी गर्ल्स स्कूलों में होगी सैनिटरी पैड की व्यवस्था
इस मामले के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक अजीत कुमार ने निर्देश दिए हैं कि सभी गर्ल्स स्कूलों में सैनिटरी पैड की व्यवस्था की जाए। अगर भविष्य में किसी छात्रा को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़े, तो उसे तुरंत मदद दी जाए। इसके साथ ही स्कूल स्टाफ को यह निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी स्थिति में वे हर संभव मदद प्रदान करें।
गर्ल्स स्कूल होने के बावजूद मदद न मिलना हैरान करने वाला
यह घटना एक गर्ल्स इंटर कॉलेज में हुई, जहां छात्राओं की मदद करने की जिम्मेदारी ज्यादा होती है। बावजूद इसके, स्कूल स्टाफ ने छात्रा की कोई मदद नहीं की, बल्कि उसे सजा भी दी। यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि ऐसे मामलों में स्कूलों में उचित व्यवस्था और संवेदनशीलता की आवश्यकता है।