लापरवाही या कामचोरी! UP स्कूलों से ‘डिजिटल रूप से गायब’ हुए 10,569 छात्र, UDISE+ पोर्टल पर नहीं हुआ डेटा अपडेट; शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
punjabkesari.in Monday, Oct 06, 2025 - 11:09 PM (IST)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में डिजिटलीकरण की लापरवाही का एक और मामला सामने आया है। लखनऊ के 1,618 प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित लगभग 1.75 लाख छात्रों में से 10,569 बच्चे UDISE+ पोर्टल पर ‘ड्रॉप बॉक्स’ में अटके हुए हैं। ये वे छात्र हैं जो या तो स्कूल छोड़ चुके हैं या दूसरी कक्षा में प्रगति कर चुके हैं, लेकिन नए स्कूलों द्वारा उनका डेटा पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया। शिक्षा मंत्रालय का UDISE+ (Unified District Information System for Education Plus) पोर्टल छात्रों के नामांकन, ट्रांसफर, ड्रॉपआउट और प्रगति को ट्रैक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। परंतु, डेटा प्रविष्टि में ढिलाई के चलते हजारों छात्र अब सरकारी रिकॉर्ड से ‘गायब’ हो गए हैं।
किस तरह हुआ यह डेटा गैप?
27 सितंबर को बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कार्यालय ने पाया कि नगर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में हजारों छात्रों का विवरण ड्रॉप बॉक्स में पड़ा है, जिसे नए स्कूलों द्वारा ‘इम्पोर्ट’ नहीं किया गया। चिनहट ब्लॉक सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 1,691 छात्रों का डेटा अटका हुआ है।
क्या है कारण?
विश्लेषण के मुताबिक, छात्रों के डेटा अपडेट न होने के पीछे कई कारण सामने आए हैं-
- आर्थिक या पारिवारिक कारणों से स्कूल छोड़ना
- एक जिले से दूसरे जिले में परिवार का पलायन
- निजी और हाल ही में खुले स्कूलों की लापरवाही
- बिना आधार कार्ड वाले छात्रों का ट्रैक न हो पाना
- स्कूलों द्वारा समय पर ट्रांसफर सर्टिफिकेट अपलोड न करना
शिक्षकों पर बना दबाव, संघों ने जताया विरोध
इस समस्या के समाधान के लिए बीएसए कार्यालय ने बीईओ और शिक्षकों को बच्चों की खोज का निर्देश दिया है। हालांकि, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह शिक्षकों का कार्य नहीं है और विभाग अपनी जिम्मेदारी टाल रहा है। उन्होंने कहा, “ये बच्चे पास होकर टीसी ले चुके हैं या नौवीं में प्रवेश कर चुके हैं। अब उनकी खोजबीन शिक्षकों पर डालना और वेतन रोकने की चेतावनी देना पूरी तरह अनुचित है।”
BSA का पक्ष
बेसिक शिक्षा अधिकारी (लखनऊ) राम प्रवेश ने दावा किया कि ड्रॉप बॉक्स में अटके छात्रों की जानकारी जुटाई जा रही है और जल्द ही डेटा अपडेट कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी शिक्षक पर दबाव या वेतन रोकने की चेतावनी नहीं दी गई है।
विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सिर्फ डेटा एंट्री का नहीं, बल्कि डिजिटल साक्षरता, प्रणालीगत खामियों और प्रशिक्षण की कमी को उजागर करता है। यदि इस तरह के गैप समय रहते नहीं भरे गए, तो मिड-डे मील, छात्रवृत्ति और RTE जैसी योजनाओं का लाभ वास्तविक ज़रूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाएगा।