अनुप्रिया पटेल ने योगी को लिखा पत्र, कहा-आरक्षित पदों को सिर्फ उन्हीं वर्ग के अभ्यर्थियों से भरा जाए
punjabkesari.in Saturday, Jun 29, 2024 - 12:55 PM (IST)
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मीरजापुर: केंद्रीय राज्य मंत्री व अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आरक्षित पदों को सिर्फ उन्हीं वर्गों से आने वाले अभ्यर्थियों से भरने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इसे अनिवार्य किया जाए, चाहे कितनी भी बार नियुक्तियां करनी पड़ें, लेकिन सामान्य पद में न जोड़ा जाए।
...तो आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का हक जाता है मारा
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के अधीन सभी संस्थाओं में सिर्फ साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जाती है। अगर प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग के आरक्षित पदों पर उपयुक्त अभ्यर्थी नहीं मिलते हैं तो उन्हें अनारक्षित कर दिया जाता है। इससे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का हक मारा जाता है। इस व्यवस्था पर तत्काल रोक लगाकर प्रभावी कार्रवाई करने की जरूरत है। केंद्र सरकार की भर्ती प्रक्रिया में नियमावली का पालन किया जा रहा है। आरक्षित वर्ग का हक मिल रहा है। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इसकी अनदेखी कर रही है।
'नॉट फाउंड सूटेबल' की वजह से नहीं होता चयन
केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि ओबीसी और एससी-एसटी वर्गों से आने वाले अभ्यर्थियों ने उनसे बार-बार यह शिकायत की है कि राज्य सरकार के द्वारा कराई जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में केवल इंटरव्यू के द्वारा ही भर्ती की जाती है और उन्हें कई बार 'नॉट फाउंड सूटेबल' घोषित कर दिया जाता है। अनुप्रिया पटेल ने पत्र में यह भी कहा है कि इस वजह से इन वर्गों से आने वाले किसी भी अभ्यर्थी का चयन नहीं किया जाता। पटेल ने यह पत्र 27 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा था।
वंचित वर्गों के अभ्यर्थियों को बार बार 'नॉट फाउंड सूटेबल'घोषित किया जाना समझ से परे
अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री से इस संबंध में प्रभावशाली कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि वंचित वर्गों से आने वाले उम्मीदवार अपनी क्षमता के आधार पर (न्यूनतम योग्यता) मिनिमम एलिजिबिलिटी को पूरा करने के बाद ही इंटरव्यू तक पहुंच पाते हैं और इसलिए उन्हें बार-बार 'नॉट फाउंड सूटेबल' घोषित किया जाना समझ से बाहर है।