B,day Special: “हाथों की लकीरों पर मत जा ए ग़ालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते”
punjabkesari.in Thursday, Dec 27, 2018 - 02:23 PM (IST)

जौनपुरः उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सरावां स्थित लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर गुरूवार को विभिन्न संगठनों के लोगों ने मशहूर शायर मिर्जा असदुल्लाह खां‘ गालिब‘ की 221वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
शहीद स्मारक पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए लक्ष्मी बाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि देश के मशहूर शायर मिर्जा असदुल्लाह खां ‘‘गालिब’’ का जन्म 27 दिसंबर 1797 को उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में हुआ था। आगरा शहर के बाजार सीतराम की गली कासिम जान में स्थित हवेली में गालिब ने अपनी जिन्दगी का लंबा सफर व्यतीत किया। उन्होंने कहा कि मिर्जा गालिब ने 11 साल की उम्र से ही उर्दू एवं फारसी में गद्य एवं पद्य लिखना आरंभ कर दिया था। इस हवेली को संग्रहालय का रूप दे दिया गया है। जहां पर गालिब का कलाम भी देखने का मिलता है।
उन्होंने कहा कि उर्दू फारसी अदब के अजीम शायर मिर्जा गालिब को लोग प्यार से मिर्जा नौसा के नाम से पुकारते थे। गालिब ने दिल्ली में रहकर 1857 की क्रान्ति देखी, मुगलबादशाह बहादुर शाह जफर का पतन देखा, अग्रेजों का उत्थान और देश की जनता पर उनके जुल्म को भी अपनी आंखों से देखे थे। इस अवसर पर डॉ. धरम सिंह , मैनेजर पांडेय, अनिरुद्ध सिंह, मंजीत कौर सहित अनेक लोग मौजूद थे।
मिर्ज़ा ग़ालिब के मशहूर शेर:
“उनके देखने से जो आ जाती है मुंह पर रौनक,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है”
“इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के”
“हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,
दिल को खुश रखने को गालिब ये ख्याल अच्छा है”
“हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब,
न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे”