UP Election 2022: मल्हनी में दो पूर्व सांसदों के बीच सपा के लकी यादव को परिवार की प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती

punjabkesari.in Sunday, Mar 06, 2022 - 11:19 AM (IST)

मल्हनी (जौनपुर): यादव बहुलता वाला विधानसभा क्षेत्र 'मल्हनी' एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि यहां के चुनावी जंग में दो पूर्व सांसदों जनता दल (यू) के बाहुबली धनंजय सिंह और भाजपा के केपी सिंह ने सपा के मौजूदा विधायक और सीट से पार्टी के उम्मीदवार लकी यादव के लिए इस चुनाव को नाक का सवाल बना दिया है। मल्हनी सीट पर अंतिम चरण में सात मार्च को मतदान होना है। सपा के लकी यादव के लिए ‘मल्हनी' पारिवारिक विधानसभा क्षेत्र की तरह है क्योंकि उनके पिता पारसनाथ यादव यहां से दो बार विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। पारस यादव जौनपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रह चुके हैं। पारस मल्हनी के अलावा जौनपुर जिले की अन्य विधानसभा सीटों से भी विधायक निर्वाचित हुए हैं।

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के साथ पारस यादव के संबंध पार्टी की स्थापना के वक्त से ही अच्छे रहे हैं। वह पिता-पुत्र मुलायम और अखिलेश यादव नीत सरकारों में मंत्री भी रहे हैं। गौरतलब है कि सीट से सपा उम्मीदवार लकी यादव के पक्ष में प्रचार के लिए पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल यादव भी मल्हनी आए हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में पारस यादव ही यहां से जीत कर विधायक बने थे लेकिन कुछ समय पहले उनके निधन के बाद समाजवादी पार्टी ने उप चुनाव में लकी यादव को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने अपने परिवार की विरासत को कायम रखते हुए मल्हनी सीट पर जीत हासिल की थी। इस बार फिर सपा के टिकट पर लकी यादव मैदान में हैं। जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह जदयू के टिकट पर मल्हनी से चुनाव मैदान में हैं। धनंजय सिंह पहली बार इसी क्षेत्र से 2002 में निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए थे, हालांकि उस वक्त परिसीमन से पहले इस सीट का नाम 'रारी' था। सिंह 2007 में जदयू के टिकट पर निर्वाचित हुए। जदयू छोड़कर 2008 में बसपा में शामिल होने के बाद सिंह 2009 में बसपा के टिकट पर जौनपुर से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। इसबीच, रारी सीट पर हुए उपचुनाव में उनके पिता राजदेव सिंह बसपा से विधायक निर्वाचित हुए। 2012 विधानसभा चुनाव में रारी सीट से सिंह की पत्नी जागृति सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गयीं।

धनंजय 2014 में जौनपुर लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2017 विधानसभा चुनाव वह निषाद पार्टी से मल्हनी सीट से लड़े लेकिन फिर हार गए। 2020 उपचुनाव में वह फिर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे, लेकिन उन्हें हार मिली। 2021 के चुनावों में वह एक बार फिर जदयू के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। भाजपा उम्मीदवार केपी सिंह की बात करें तो उनके पिता उमानाथ सिंह कल्याण सिंह नीत भाजपा सरकार में मंत्री थे। केपी सिंह 2014 में पहली बार जौनपुर लोकसभा सीट से निर्वाचित होकर संसद पहुंचे, हालांकि 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब वह मल्हनी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं।

बसपा उम्मीदवार शैलेंद्र यादव पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। यादव कभी धनजंय सिंह के करीबी माने जाते थे। कांग्रेस से पुष्पा शुक्ला मैदान में हैं। मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में लगभग एक लाख 10 हजार पंजीकृत मतदाता यादव बिरादरी से हैं। वहीं ठाकुरों का मात्र 40 हजार वोट होने के बावजूद धनंजय सिंह को यहां से ओबीसी और ब्राह्मणों का साथ मिलने की संभावना है। सपा उम्मीदवार लकी यादव ने कहा, ‘‘मेरे पिताजी ने क्षेत्र में जो विकास कार्य कराए, उन्हें जारी रखने के लिए ही मैं चुनाव मैदान में हूं। उन्होंने जौनपुर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खुलवाया था, जिसका भवन निर्माण पूरा हो गया है, लेकिन भाजपा सरकार की बेरूखी के कारण नातो कक्षाएं शुरू हो सकी और नाहीं मरीजों का इलाज।''

मल्हनी को सपा का गढ़ बताते हुए लकी यादव ने आरोप लगाया कि इसी कारण भाजपा ने क्षेत्र के विकास पर कभी ध्यान नहीं दिया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार केपी सिंह का आरोप है कि सपा वर्षों से मल्हनी सीट पर काबिज है, लेकिन क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ, यहां तक कि सड़कें भी टूटी हुई हैं। जदयू नेता धनजंय सिंह का कहना है कि मल्हनी क्षेत्र में आज जो भी विकास कार्य दिख रहे हैं सबकुछ उन्होंने क्षेत्र का सांसद और विधायक रहते हुए कराया है। यह दावा करते हुए उन्होंने विकास कार्यों को जारी रखने का वादा किया।


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Mamta Yadav

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