Parents हो जाएं सावधान! बच्चों को आ रहा Silent Heart Attack, इन संकेतों को नजरअंदाज करना हो सकता है जानलेवा.....

punjabkesari.in Sunday, Jul 06, 2025 - 02:52 PM (IST)

UP Desk : देश में हार्ट अटैक के मामले दिन प्रति दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। आमतौर पर उम्रदराज लोग ही दिल की बीमारी से ग्रसित होते थे, लेकिन अब हर वर्ग के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। छोटे बच्चे और किशोर भी “साइलेंट हार्ट अटैक” (Silent Heart Attack) जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। जोकि बड़ी चिंता का विषय है। यह हार्ट अटैक आमतौर पर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के होता है या फिर लक्षण इतने मामूली होते हैं कि माता-पिता और डॉक्टर तक समझ नहीं पाते।

हाल ही में यूपी के बाराबंकी जिले में 12 साल के छात्र की अचानक साइलेंट अटैक से मौत हो गई। जिले के देवा क्षेत्र के एक स्कूल में 7वीं कक्षा में पढ़ने वाले अखिल सिंह को स्कूल खुलने के पहले दिन ही हार्ट अटैक आया था। स्कूल के गेट के पास ही अखिल की तबीयत अचानक खराब हो गई। परिजन उसे तुरंत डॉक्टर के पास लेकर गए लेकिन तब तक अखिल की मौत हो चुकी थी। प्रारंभिक जांच में मौत का कारण साइलेंट हार्ट अटैक बताया जा रहा है। 

क्या होता है साइलेंट हार्ट अटैक ?
यह एक प्रकार का हार्ट अटैक ही होता है। जिसमें छाती में तेज़ दर्द, पसीना, सांस फूलना जैसे क्लासिक लक्षण नहीं दिखते जबकि यह धीरे-धीरे दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है। अगर समय रहते जांच न हो, तो यह भविष्य में बड़े अटैक या हार्ट फेलियर का कारण बन सकता है।

बच्चों में साइलेंट हार्ट अटैक के कारण
बच्चों में साइलेंट हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण जंक फूड और अनहेल्दी डाइट है। बच्चे अधिक मात्रा में तली-भुनी चीजें, शुगर, कोल्ड ड्रिंक, प्रोसेस्ड फूड खाने लगे हैं। इससे कोलेस्ट्रॉल और फैट बढ़ता है, जिससे दिल की नसों में धीरे-धीरे ब्लॉकेज बन सकता है। वहीं शारीरिक गतिविधि की कमी भी इस बीमारी को जन्म देती है। मोबाइल, टीवी और वीडियो गेम के जमाने में बच्चे फिजिकल वर्क से बिल्कुल दूर हो गए हैं। दिल की धमनियों की मजबूती के लिए नियमित फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है। वहीं कुछ बच्चों को जेनेटिक या जन्मजात हृदय दोष होता है। यह धीरे-धीरे हार्ट स्ट्रेस और अटैक का कारण बन सकता है।

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हार्ट अटैक के अन्य कई कारण
इसके अलावा तनाव और मानसिक दबाव भी इसके बड़े कारण हैं। स्कूल प्रेशर, सोशल मीडिया, पेरेंट्स का अपने बच्चों पर बढ़ती इच्छाएं और प्रैशर, ये सभी चीजें बच्चों को मानसिक तनाव देती हैं। लंबे समय तक तनाव दिल पर असर डालता है, जिससे कार्टिसोल हार्मोन बढ़ता है और दिल कमजोर होता है। बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज और मोटापा, आम हो गया है। जिसका सीधा संबंध अनहैल्दी लाइफस्टाइल से ही है। ये दोनों समस्याएं दिल की धमनियों को कमजोर करके साइलेंट अटैक की संभावना बढ़ाते हैं। वहीं बच्चों की थकान, चिड़चिड़ापन, भूख की कमी, दिल की धड़कन तेज़ होना जैसे संकेतों की समय पर जांच न होना या लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना भी इसका बड़ा कारण हो सकता है। ये सब लक्षण छोटे समझे जाते हैं लेकिन यह साइलेंट हार्ट की ओर संकेत हो सकते हैं।

सावधान करने वाले बड़े संकेत
यदि बच्चे में ये लक्षण दिखाई दें तो बिना देरी किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बार-बार थक जाना या सांस फूलना
अचानक चक्कर या बेहोशी
छाती में हल्का दर्द या भारीपन
दिल की धड़कन तेज़ होना
बिना मेहनत के पसीना आना
भूख कम लगना और कमजोरी

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इस तरह की हैल्थ प्रॉब्लम से बच्चे का बचाव कैसे करें पेरेंट्स ? 
बच्चों को (ताजे फल, सब्जियां, नट्स, दूध, अनाज) हेल्दी डाइट दें। संतुलित आहार उनके लिए बहुत जरूरी है। बच्चों को एक्टिव रखें। रोजाना कम से कम 1 घंटा फिजिकल एक्टिविटी में उन्हें शामिल करें। इस लिस्ट में दौड़ना, साइकिलिंग, खेलना आदि शामिल हैं। बच्चों का मोबाइल/टीवी पर स्क्रीन टाइम सीमित करें। उन्हें 1–2 घंटे से अधिक न टीवी और मोबाइल न देखने दें। बच्चों का नियमित रूप से हेल्थ चेकअप कराएं। फैमिली हिस्ट्री है तो ECG, इकोकार्डियोग्राफी या ब्लड प्रेशर की जांच करवाएं।


 


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Content Editor

Purnima Singh

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