कांग्रेस ने थामा ‘सोशल इंजीनियरिंग’ का दांव, BJP के जातीय फॉर्मूले से 2027 में पलटवार की तैयारी; गैर-यादव OBC और दलितों पर फोकस
punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 05:32 PM (IST)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर से जातीय समीकरणों की बिसात बिछाई जाने लगी है। कांग्रेस पार्टी, जो पिछले तीन दशकों से राज्य की सत्ता से बाहर है, अब भाजपा के आजमाए हुए जातीय फॉर्मूले को अपना हथियार बनाकर वापसी की कोशिश में है। 2027 के विधानसभा चुनाव को लक्ष्य बनाते हुए कांग्रेस ने अति-पिछड़ी और गैर-जाटव दलित जातियों को केंद्र में रखकर रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
जातीय सम्मेलन से कांग्रेस का मिशन शुरू
सूत्रों के मुताबिक, अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से कांग्रेस अति-पिछड़ी जातियों के लिए क्षेत्रीय सम्मेलन शुरू करेगी। पार्टी ने मौर्य, निषाद, कुर्मी, बिंद, प्रजापति, पाल, चौहान जैसी गैर-यादव ओबीसी जातियों और पासी, धोबी, कोरी, वाल्मीकि जैसी गैर-जाटव दलित जातियों पर विशेष ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। पार्टी मानती है कि इन्हीं जातियों की मदद से भाजपा ने 2014 से 2022 तक लगातार चुनावों में सफलता पाई थी, और अब वक्त है कि इन्हीं वर्गों तक कांग्रेस सीधी पहुँच बनाए।
'सर्वजन' से 'सोशल जस्टिस' तक कांग्रेस का ट्रांजिशन
कांग्रेस एक समय खुद को सर्वजन हिताय पार्टी के तौर पर प्रस्तुत करती थी। लेकिन 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन और मंडल आयोग की राजनीति ने पार्टी की जड़ों को हिला दिया। ब्राह्मण-ठाकुर भाजपा के खेमे में चले गए, दलित बसपा की ओर मुड़ गए और मुस्लिम सपा की तरफ झुक गए। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस हाशिए पर चली गई। लेकिन अब 2024 के चुनाव में मिली छह लोकसभा सीटों और सपा के साथ गठबंधन से कांग्रेस को नई ऊर्जा मिली है। पार्टी अब खुद को सामाजिक न्याय की लड़ाई में सबसे आगे दिखाने की तैयारी में है।
मनोज यादव बोले – BJP ने सिर्फ छलावा दिया
उत्तर प्रदेश कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मनोज यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने ओबीसी और दलित समुदायों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि "भाजपा ने धर्म के नाम पर ठगने का काम किया, लेकिन रोजगार, शिक्षा और आरक्षण के मोर्चे पर कोई ठोस काम नहीं हुआ।" उन्होंने सरकार से रोहिणी आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की भी मांग की। कांग्रेस अब इन वर्गों के हक और हकूक की लड़ाई के साथ ‘समाज में न्याय’ का संदेश देना चाहती है।
बीजेपी के मॉडल को ही हथियार बना रही कांग्रेस
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस ने भाजपा के 'सवर्ण + गैर-यादव ओबीसी + गैर-जाटव दलित' फॉर्मूले को ही अब भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनाने का टूल बना लिया है। 2014, 2017, 2019 और 2022 में इसी जातीय संतुलन के दम पर भाजपा को जीत मिली। अब कांग्रेस इस खांचे में सेंध लगाने की रणनीति पर चल रही है। सपा के ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) मॉडल और राहुल गांधी के संविधान व आरक्षण वाले नैरेटिव से कांग्रेस को 2024 में कुछ हद तक लाभ मिला। इसी राह को अब पार्टी विस्तार देने की योजना में है।
भाजपा का पलटवार – 'जमीनी हकीकत नहीं जानती कांग्रेस'
इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, "कांग्रेस के पास उत्तर प्रदेश में न तो संगठन है, न ही जमीनी पकड़। और उनकी सबसे बड़ी समस्या राहुल गांधी हैं। ऐसे में जातीय सम्मेलन कर लेने भर से पार्टी का जनाधार नहीं बनने वाला।"