सहमति से बने शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं, कोर्ट ने दिया सीओ और दारोगा पर कार्रवाई करने का आदेश

punjabkesari.in Sunday, Sep 01, 2024 - 03:19 PM (IST)

बरेली ( जावेद खान ): यूपी पुलिस की विवेचना की गुणवत्ता को लेकर कोर्ट ने कई बार सवाल खड़े किए हैं। दरअसल आरोपी की विवेचना में पुलिस तथ्यात्मक साक्ष्य जुटाये बगैर चार्जशीट लगा देती है। बरेली के एक ऐसे ही सनसनीखेज मामले में कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपी को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा की सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आते हैं। गुणवत्ताहीन, तथ्यहीन विवेचना करने वाले दरोगा इंस्पेक्टर और सीओ के खिलाफ कार्रवाई को लेकर एसएसपी को आदेश दिया है।

शादीशुदा महिला ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का लगाया था आरोप
कर्मचारी नगर की रहने वाली 34 वर्षीय महिला के तीन बच्चे हैं। महिला के शिवम से संबंध थे, जो 2016-2019 तक चले। महिला ने शिवम पर आरोप लगाया कि उसने शादी का झांसा देकर उसके साथ तीन साल तक दुष्कर्म किया। महिला ने प्रेमनगर थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने युवक को जेल भेज दिया। लेकिन कोर्ट में मामले की जांच के दौरान महिला ने आरोपों को नकार दिया। युवक को बरी कर दिया गया।

शादी के झांसे में कैसे आ सकती है तीन बच्चों की मां
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि तीन बच्चों की मां शादी के झांसे में कैसे आ सकती है, जबकि महिला का तलाक नहीं हुआ है और वह शादीशुदा है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने मामले की तहकीकात नहीं की और महिला की मदद कर युवक को जेल भेज दिया। कोर्ट ने एसएसपी को निर्देश दिया है कि मामले में विवेचक दारोगा सोनिया यादव, प्रेमनगर कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर बलवीर सिंह और सीओ- प्रथम श्वेता यादव के विरुद्ध धारा 219 के तहत कार्रवाई की जाए और विभागीय जांच की जाए। कोर्ट ने महिला पर जुर्माना लगाया गया है। कोर्ट ने कहा है कि महिला ने युवक पर शादी का दबाव बनाया और पुलिस से तालमेल कर युवक को फंसा दिया।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Imran

Related News

static