रामपुर तिराहा मामले में PAC के दो पूर्व आरक्षी को अदालत ने पाया दोषी, 18 मार्च को होगा सजा का ऐलान

punjabkesari.in Friday, Mar 15, 2024 - 08:30 PM (IST)

मुजफ्फरनगर: जिले की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को करीब 30 वर्ष पूर्व उत्तराखंड को अलग राज्‍य बनाये जाने की मांग कर रही महिला आंदोलनकारियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में पीएसी (प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी) के दो पूर्व सिपाहियों (आरक्षी) को दोषी करार दिया है और सजा सुनाने के विषय पर 18 मार्च तक अपना आदेश सुरक्षित रखा है।

अभियोजन अधिकारी (सीबीआई) धारा सिंह ने बताया कि रामपुर तिराहा पुलिस गोलीबारी मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने दो पूर्व पीएसी कांस्टेबल को दोषी ठहराया है, जिन पर 1994 में पृथक उत्तराखंड की मांग करने वाली महिला कार्यकर्ताओं के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में सुनवाई चल रही थी। अदालत ने सजा के विषय पर 18 मार्च तक अपना आदेश सुरक्षित रखा है। सिंह ने बताया कि विशेष सीबीआई न्यायाधीश शक्ति सिंह ने दो पूर्व पीएसी कांस्टेबल मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप को सामूहिक दुष्कर्म समेत भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया और 18 मार्च तक के लिए सजा के विषय पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

सिंह के अनुसार इस मामले में सीबीआई ने 15 गवाहों को पेश किया है, जिनमें एक 75 वर्षीय पीड़ित महिला, एक पूर्व गृह सचिव दीप्ति विलास भी शामिल हैं। दो अक्टूबर 1994 को अलग उत्तराखंड राज्य की मांग के समर्थन में आंदोलनकारी बसों से ऋषिकेश से दिल्ली जा रहे थे। इस दौरान आंदोलनकारी रात को जब मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर तिराहा पर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। जब आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने गोलीबारी की। उस दौरान उत्तराखंड के सात कार्यकर्ताओं की मौत हो गयी तथा महिला कार्यकर्ताओं के साथ बलात्कार किया गया। इस मामले में दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों पर गंभीर धाराओं के साथ ही सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था।

 


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Ramkesh

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