विधायकी जाने के बाद आजम खान की राजनीति पर संकट, योगी सरकार में गई 5वें MLA की सदस्यता

punjabkesari.in Saturday, Oct 29, 2022 - 12:52 PM (IST)

लखनऊ: हेट स्पीच देने के मामले में 3 साल की सजा होने के बाद सपा के वरिष्ट नेता आजम खान की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। बता दें कि उनकी विधायकी हाथ से निकल ही गई है। इसके साथ ही उनकी राजनीति पर भी संकट मंडराने लगा है। वहीं, यूपी में योगी सरकार आने बाद अब तक पांच विधायक अपनी विधान सभा की सदस्यता गवां चुके हैं। 

42 साल से आजम खां का दबदबा कायम
बता दें कि रामपुर की सियासत में पिछले 42 साल से आजम खां का दबदबा कायम है। शहर से वह 10 बार विधायक चुने जा चुके हैं। राज्यसभा सदस्य रहने के साथ ही प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। प्रदेश में जब भी सपा की सरकार बनी तब वह कई-कई विभागों के मंत्री बने। 2019 में वह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़े और जीत गए, लेकिन लोकसभा की सदस्यता उन्हें रास नहीं आई। इस चुनाव के दौरान ही उनके खिलाफ आचार संहिता एवं आपत्ति जनक भाषण के दर्जन भर मुकदमे दर्ज हुए। इस समय उनके विरुद्ध 106 मुकदमे विचाराधीन हैं। 

पत्नी, दोनों बेटों और बहन के खिलाफ बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज
उनकी पत्नी, दोनों बेटों और बहन के खिलाफ बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज हुए। इसके बावजूद आजम खां का सियासी रुतबा कायम रहा। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में वह सीतापुर जेल में बंद रहते हुए भी 1,31,000 वोट पाकर 10वीं बार विधायक बने । नवाब खानदान से पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां भी उनके मुकाबले चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें चार हजार वोट ही मिल सके। आजम की जिद के आगे दो बार सपा नेतृत्व को भी उनके सामने झुकना पड़ा है। अब हालात बदलने लगे हैं। 

योगी सरकार में इन लोगों की गई सदस्यता
आजम खां से पहले भी कई विधायक अपनी विधानसभा सदस्यता गंवा चुके हैं। योगी सरकार के साढ़े पांच वर्षों के कार्यकाल में आजम पांचवें ऐसे विधायक हैं, जिन्हें विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है। इस सूची में आजम खां के बेटे सपा विधायक अब्दुल्ला आजम के अलावा भाजपा से विधायक रहे अशोक चंदेल, कुलदीप सिंह सेंगर व खब्बू तिवारी के नाम भी शामिल हैं।

इन विधायकों की भी जा चुकी है सदस्यता 
सपा के टिकट पर वर्ष 2017 में रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से विधायक बने अब्दुल्ला आजम की सदस्यता भी जा चुकी है। दिसंबर, 2019 में लोक प्रतिनिधि अधिनियम के तहत उनका चुनाव शून्य घोषित करते हुए अब्दुल्ला का निर्वाचन रद कर दिया गया था। फर्जी प्रमाणपत्र के मामले में यह कार्रवाई हुई थी । इसके अलावा वर्ष 2019 में भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल की विधानसभा सदस्यता गई थी। चंदेल को हाई कोर्ट ने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Imran

Related News

static