मस्जिद के मलबे का नहीं किया जा सकता अनादर, SC में डालेंगे प्रार्थना पत्रः जिलानी

punjabkesari.in Friday, Feb 07, 2020 - 02:38 PM (IST)

लखनऊः बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी में विचार चल रहा है कि अवशेष मिलने के बाद उसे विशेष तौर पर म्यूजियम में संरक्षित किया जाए। इसके लिए कमेटी सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर बाबरी मस्जिद के मलबे को मुसलमानों को सौंपने की गुजारिश करेगी।

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने बताया कि कमेटी SC में अपील को लेकर निर्णय ले चुकी है। अब बस मामले में AIMPLB की भी राय की जरूरत है। जिलानी ने कहा कि इस संबंध में बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी से संपर्क करने की कोशिश की गई है, लेकिन चूंकि उनकी तबियत ठीक नहीं है, लिहाजा अभी तक बोर्ड की राय नहीं मिल सकी है। लेकिन फिर भी हमारी कोशिश है कि मंदिर निर्माण से पहले ही हम वहां से बाबरी मस्जिद का मलबा हटवा लें। उन्होंने कहा कि हमारी वकील राजीव धवन से बातचीत हो गई है, बस बोर्ड की सहमति का इंतजार है। लखनऊ व दिल्ली में जमीन तलाशने को लेकर भी चर्चा हुई है। कमेटी इस पर जल्द ही आगे बढ़ेगी।

बाबरी मस्जिद कमेटी के संयोजक और वकील जिलानी ने शरीयत का हवाला देते हुए कहा कि मस्जिद की सामग्री किसी दूसरी मस्जिद या भवन में नहीं लगाई जा सकती है। इसका अनादर भी नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं कोर्ट ने भी अपने फैसले में मलबे के संबंध में कोई फैसला नहीं किया है। इसलिए हम SC में प्रार्थना पत्र देंगे।

जिलानी ने कहा कि न्यायालय ने वर्ष 1992 में बाबरी के विध्वंस को सिरे से असंवैधानिक माना है इसलिए इसके मलबे और दूसरी निर्माण सामग्री जैसे पत्थर, खंभे आदि को मुसलमानों के सुपुर्द किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रार्थना पत्र देकर कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा। मलबे के संबंध में कोर्ट के निर्णय में कोई स्पष्ट आदेश नहीं है। ऐसे में मलबे को हटाने के समय उसका अनादर होने की आशंका है।


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Ajay kumar

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