इंसानियत की मिसाल! खुद कैंसर पीड़ित होकर 17 सालों से 400 कैंसर मरीज़ों की कर चुके मदद

punjabkesari.in Monday, Jan 25, 2021 - 01:14 PM (IST)

प्रयागराज: कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी के बारे में तो आप जानते ही होंगे, बहुत ही कम लोग है, जो ऐसी बीमारियों से ठीक होते हो या फिर वह इस बीमारी से ही अंदर से टूट जाते है, लेकिन पंकज रिजवानी यह ऐसा नाम है जो 17 सालों से कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे थे और इस दौरान पंकज रिजवानी इंसान और इंसानियत के लिए एक मिसाल बने हुए हैं। आज के समय में ऐसे कम ही लोग मिलते हैं, जो मेंटली यानी दिमाग की तौर पर इतने मजबूत हो, पंकज रिजवानी वो शख्स हैं जो बीते 17 सालों में लगभग 400 कैंसर पीड़ित मरीज़ों की मदद कर चुके है, जबकि 50 से अधिक लोगों को अपना खून दे चुके हैं और सेकड़ों गरीबों, मज़लूमों की मदद कर चुके है।

पंकज कैंसर जैसी बीमारी से खुद भी जूझ रहे थे, लेकिन इन्हें जहां भी जानकारी मिलती कि कोई व्यक्ति कैंसर से पीड़ित हैं, उसे सही इलाज नहीं मिल रहा या पैसे के अभाव में वह अपना इलाज नहीं करवा पा रहा तो ये उसकी मदद के लिए हमेशा दो कदम आगे रहते और सबकी मदद करते। पंकज को अब तक 32 से अधिक बार अपनी इस दरियादिली के लिए सम्मानित किया जा चुका है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पूर्व राज्यपाल राम नाईक,  उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत कई अन्य राजनेता शामिल हैं।

इसकेेे साथ ही पंकज रिजवानी को 15 से अधिक IAS और IPS शामिल है जिसमे डीजीपी ओपी सिंह, नवनीत सिकेरा डीएम संजय कुमार आईजी के.एस प्रताप कुमार, डीआइजी विजय यादव, डीआइजी के.एस.इमैनुअल, एसएसपी जोगेंद्र कुमार, एसएसपी शलभ माथुर, एसपी सिटी राजेश यादव, एसपी ट्रैफिक इलाहाबाद निहारिका शर्मा जैसे शीर्ष पुलिस अधिकारीयों द्वारा प्रशस्ति पत्र दिया गया है।

पंकज रिजवानी कैंसर से तो लड ही रहे थे, साथ ही अपना बेकरी का बिजनेस भी कर रहे थे और उस बिजनेस से जो भी कुछ मिलता उससे कैंसर पीड़ितों की मदद करते रहे हैं। हालांकि वह आज पूरी तरीके से कैंसर को मात दे चुके हैं, लेकिन उन्होंने इस कार्य को अपना लक्ष्य बना लिया है और वह अब भी ऐसे व्यक्तियों को ढूंढ कर उन्हें साहस देते हैं। उनकी आर्थिक मदद करते हैं। डॉक्टरों के पास ऐसे मरीजों को ले जाकर उनका इलाज करवाते हैं। उनके इस कार्य से उनका पूरा परिवार और समाज प्रभावित है।

पंकज रिजवानी की मां का कहना है कि इस बच्चे ने हमारा सर गर्व से ऊंचा कर दिया और हमें गर्व है कि पंकज हमारा बेटा है। पंकज की मां का कहना है कि जब 2003 में टाटा हॉस्पिटल में पता चला कि पंकज को कैंसर है, तो डॉक्टर ने बोला अब इस बच्चे को दवा के साथ साथ दुआ की जरूरत है। तभी ये बात पंकज के दिमाग में बैठ गई और उसी दिन से लोगों की सेवा में लग गया।


 


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Tamanna Bhardwaj

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