हाईकोर्ट ने न्यायालयों को दिया आदेशः जनहित याचिकाओं पर विचार के समय अत्याधिक सतर्कता बरतें
punjabkesari.in Friday, Sep 01, 2023 - 09:18 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याची इलाहाबाद हाईकोर्ट रुल्स ( रूल्स ऑफ़ कोर्ट, 1952) के अध्याय 12 के नियम 1 के उप नियम (3-ए) के अनुसार अपनी साख व अन्य विवरण का खुलासा करने में असफल रहा था। याची ने अधूरे बोरवेल और ओवरहेड वॉटर टैंक की स्थापना को पूरा करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दाखिल की थी।
विपक्षी ने उक्त याचिका की पोषणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति उठाई, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट रूल्स के तहत याची अपनी साख और अन्य विवरणों का खुलासा नहीं कर सका। न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की एकलपीठ ने एटा निवासी भूपेंद्र सिंह की याचिका पर सुनवाई करने के दौरान निष्कर्ष निकाला कि अपनी साख से जुड़े प्रमाण पत्र को अदालत के समक्ष उपस्थित करना यह दर्शाता है कि याची के पास मामले में शामिल होने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता ज्ञान और गंभीरता है। कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में बेहद सावधानी बरतनी होगी कि सार्वजनिक शिकायत के निवारण की आड़ में कोई संविधान द्वारा निर्धारित कार्यपालिका तथा विधायिका के लिए आरक्षित क्षेत्र का अतिक्रमण न करे।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अशोक कुमार पांडे बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में जनहित याचिकाओं को निस्तारण करने के लिए मानदंड स्थापित किया था। जिसके अनुसार याची को मामले में अपनी स्पष्ट पहचान और प्रामाणिकता सिद्ध करनी होती है। उपरोक्त मामले में कोर्ट ने माना कि याची गांव में बोरवेल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने में अपनी प्रामाणिकता को सिद्ध करने में असफल रहा और मानवाधिकारों का उल्लंघन भी किया है। अतः इस आधार पर जनहित याचिका खारिज कर दी गई।