सोनभद्र में किसानों ने परंपरागत खेती छोड़ ड्रैगन फ्रूट की खेती को अपनाया, एक एकड़ में हो रहा 6 लाख तक का फायदा

punjabkesari.in Saturday, Nov 12, 2022 - 04:27 PM (IST)

सोनभद्र (संतोष जयसवाल) : नक्सल प्रभावित और देश के 117 अति पिछड़े जनपदों में शामिल सोनभद्र जनपद में किसान परंपरागत खेती के अलावा जंगल पर आश्रित है। यहां की कृषि काफी पिछड़ी हुई है क्योंकि ज्यादातर पहाड़ी हिस्सा होने के कारण बारिश पर ही यहां की खेती निर्भर है। लेकिन केंद्र और प्रदेश सरकार की पहल से अब सोनभद्र जनपद के किसानों के दिन सुधरने वाले हैं। जनपद के किसान परंपरागत फसलों की खेती को छोड़कर ड्रैगन फ्रूट की खेती को अपना रहे हैं। आपको बता दें कि परंपरागत खेती में जनपद के किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है। इस नुकसान से बचने के लिए किसान अब ड्रैगन फ्रूट की खेती की तरफ रुचि ले रहे हैं। जिले के लगभग 15 से अधिक किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। इस खेती के लिए जिला प्रशासन भी किसानों को प्रोत्साहन दे रहा है। किसानों को प्रेरित करने के लिए उद्यान विभाग के राजकीय प्रक्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की गई है। ड्रैगन फ्रूट बाजार में काफी महंगा बिकता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी मार्केट में इसकी काफी डिमांड है।

एक एकड़ में छह लाख तक का लाभ 
सोनभद्र जिला प्रशासन ने राजकीय प्रक्षेत्र बेलाही में किसानों के माध्यम से ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत की है। इस खेती में पोल के सहारे पौधरोपण किया जाता है। लगभग 6 महीने बाद पौधों में फल आना शुरू हो जाता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान मान सिंह ने बताया कि वह बचपन से ही किसानी करते चले आ रहे हैं लेकिन गेहूं और धान की फसल में उन्हें कोई फायदा नहीं होता। इस कारण खेती मे नए तरीके का प्रयोग करने के उद्देश्य से मानसिंह पिछले वर्ष से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। किसान मानसिंह का कहना है कि एक एकड़ में छह लाख तक का लाभ इस खेती से लिया जा सकता है। जबकि परम्परागत खेती में तो फसल का बिकना तक मुश्किल हो जाता है। इसके साथ साथ हम ड्रैगन फ्रूट के साथ मिश्रित खेती के रूप में मिर्च,गोभी,टमाटर के अलावा स्ट्रॉबेरी की खेती भी कर रहे हैं।

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एक बार पौधा लगाने के बाद 20 वर्षों तक फल 

जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद है। इम्युनिटी बूस्टर होने के चलते मार्केट में है इसकी डिमांड है। जिलाधिकारी ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट 200 से लेकर 400 रुपये तक बिकता है। एक बार यह पौधा लगाने के बाद 20 वर्षों तक फल देता है और लाखों की कमाई प्रतिवर्ष होती है। लोगों को रोजगार से जोड़ते हुए उनकी आय को दोगुना करने के उद्देश्य डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड द्वारा किसानों की मदद की जा रही है ताकि वह इस खेती को कर सकें। ड्रैगन फ्रूट के सेवन से ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ने नहीं पाती और यह कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित रखता है। एक तरफ जहां डायबिटीज का खतरा कम होता है। वहीं दूसरी तरफ हार्ट की बीमारी में भी मरीज इसका सेवन करते हैं। कोविड-19 को देखते हुए डॉक्टर इसे इम्युनिटी बूस्टर के रूप में प्रयोग करने की सलाह देते हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद के कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों के परिवारों को ड्रैगन फ़्रूट के पौधे निशुल्क उपलब्ध कराए जाए। ड्रैगन फुट के फल खाने से बच्चों को कुपोषण से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ उनके परिवार की आय में वृद्धि होगी।


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Content Editor

Prashant Tiwari

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