बाढ़ ने छीना ठिकाना, गांवों की ओर बढ़े आदमखोर भेड़िए! 7 दिन में 6 हमले, 2 बच्चों की मौत, गांवों में फैली दहशत
punjabkesari.in Wednesday, Sep 17, 2025 - 10:13 PM (IST)

Bahraich News: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक बार फिर आदमखोर भेड़ियों का आतंक लौट आया है। पिछले सात दिनों में छह अलग-अलग हमलों में अब तक दो मासूम बच्चियों की जान जा चुकी है और छह अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हैं। यह सिलसिला एक साल के अंतराल के बाद फिर से शुरू हुआ है, जिससे ग्रामीणों में डर और वन विभाग में खलबली मच गई है।
हमले की घटनाएं: इंसान से जंगल तक फैला डर:-
हमला 1: गाय को रोटी दे रही महिला पर हमला
60 वर्षीय शिव प्यारी पर तब हमला हुआ जब वह घर के पास बंधी गाय को रोटी खिला रही थीं। भेड़िया पीछे से आया और गले पर झपट पड़ा। उन्हें गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
हमला 2: खाना खा रही बच्ची को उठा ले गया
परागपुरवा गांव में 4 साल की बच्ची अपने परिवार संग भोजन कर रही थी, तभी भेड़िया झपट्टा मारकर बच्ची को उठा ले गया। सुबह उसका शव खेत में मिला।
हमला 3: चारपाई पर सो रहे किशोर पर वार
18 वर्षीय आदर्श शुक्ला पर हमला सोते समय हुआ। उसने हिम्मत दिखाते हुए कुर्सी से भेड़िए को मारा और जान बचाई।
हमला 4: मां की गोद से मासूम को उठा ले गया
तीन माह की बच्ची संध्या को उसकी मां दूध पिला रही थी, तभी भेड़िया बच्ची को गोद से छीन ले गया। सुबह उसका शव बरामद हुआ।
हमला 5 और 6: दो महिलाओं पर हमला
70 वर्षीय चंद्रा देवी और सारथी देवी पर भी रात में हमला हुआ। दोनों अस्पताल में भर्ती हैं।
ड्रोन से निगरानी और लाउडस्पीकर से चेतावनी
वन विभाग ने बताया कि ड्रोन कैमरों की मदद, पिंजरे में चारा (जैसे खरगोश) और लाउडस्पीकर से प्रचार जैसे उपाय किए जा रहे हैं। साथ ही अन्य जनपदों से विशेषज्ञ टीमों को बुलाया गया है।
पिछले साल का आतंक लौट आया?
साल 2024 में बहराइच में भेड़ियों के हमलों में 6 मौतें और 60 से अधिक घायल हुए थे। उस वक्त भी वन विभाग ने कई भेड़ियों को पकड़ा था। इस साल के हमले भी उसी पैटर्न पर हो रहे हैं, लेकिन इलाके में थोड़ा बदलाव है—अब हमले महसी से 40 किमी दूर कैसरगंज बॉर्डर एरिया में हो रहे हैं।
क्यों हो रहे हैं ये हमले?
- घाघरा नदी में आई बाढ़ के कारण भेड़ियों के प्राकृतिक ठिकाने पानी में डूब गए हैं।
- गन्ने के खेत भेड़ियों के छिपने के लिए मुफीद बन गए हैं।
- गांव के किनारे बसे घर सबसे ज्यादा निशाने पर हैं, क्योंकि शिकार के बाद भेड़िया आसानी से खेतों में छिप जाता है।
- रात के समय भेड़िए बच्चों को उठा ले जाकर खेतों में ले जाते हैं, जहां उनके शव दूर-दूर मिलते हैं।
सुरक्षा उपाय तेज़, लेकिन खतरा बरकरार
वन विभाग ने पिंजरे, ड्रोन, विशेषज्ञ टीम और जागरूकता के जरिए स्थिति पर काबू पाने की कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन भेड़िए अब तक पकड़ में नहीं आए हैं। ग्रामीणों से रात में सतर्क रहने, बच्चों को अकेला न छोड़ने और समूह में बाहर निकलने की अपील की गई है।