मस्जिद के लिए अधिग्रहित 67 एकड़ में से 5 एकड़ जमीन दे सरकार, तभी होगा मान्यः इसहाक़ गोरा

punjabkesari.in Friday, Nov 15, 2019 - 04:09 PM (IST)

 सहारनपुर : अयोध्या मसले पर विवादों का क्रम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रूक गया मगर उससे संबंधित कुछ मुद्दों पर विवाद रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब एक नया विवाद जोर पकड़ने लगा है, जिसके तहत मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ देवबंदी उलेमाओं ने मनमाफिक जमीन की बजाए अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन में से ही 5 एकड़ हिस्सा लेने पर अड़ गए हैं।

बताते चलें कि बहुचर्चित अयोध्या फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने के आदेश दिए हैं लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ देव बंदी उलेमाओं ने मनमाफिक जमीन की बजाए अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन में से हिस्सा लेने पर अड़ गए हैं। उलेमा के मुताबिक 1991 में केंद्र सरकार ने विवादित स्थल समेत 67 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी।उलेमाओं का कहना है कि उन्हें 14 कोस से दूर दी गई जमीन दान में नहीं चाहिए।

जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध देव बंदी उलेमा इमाम मौलाना कारी इसहाक़ गोरा ने कहा की अगर कोर्ट का आदेश मानते हुए सरकार हमें जमीन देना चाहती हैं तो वह हमारी सुविधा के मुताबिक दी जानी चाहिए। 67 एकड़ के बाहर से दी जाने वाली जमीन को मुस्लिम पक्ष नही लेंगे अन्यथा इस पेशकश को ठुकरा देंगे। मौलाना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अगर 5 एकड़ जमीन चिन्हित होकर मिलेगी तो हम जरूर लेंगे।

विवाद के मुद्दे पर मौलाना ने साफ कहा कि यदि विवाद या विरोध करना था तो सभी करते लेकिन मुसलमानों ने तय कर लिया था कि फैसला चाहे मंदिर के पक्ष में आए या उनके (मुसलमान) पक्ष में हर किसी को कबूल होगा। उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए यह फैसला कबूल भी किया है। किसी ने भी कोई विरोध नहीं किया लेकिन अब यदि अधिग्रहित भूमि में से 5 एकड़ जमीन नहीं मिलती है तो अन्य स्थान पर कोई भूमि नहीं लेंगे उन्हें यह दान नहीं चाहिए।


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Ajay kumar

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