बुंदेलखंड को देश के पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करना ज़रूरी, बोले- हरगोविंद कुशवाहा
punjabkesari.in Wednesday, Sep 21, 2022 - 09:43 PM (IST)

झांसी: उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (बुंविवि) में विश्व पर्यटन दिवस तक आयोजित किये जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का रंगारंग शुभारंभ बुधवार को विश्व शांति दिवस से किया गया।विश्वविद्यालय परिसर के गांधी सभागार में पर्यटन एवं होटल प्रबन्धन संस्थान द्वारा आयोजित उद्घाटन समारोह का प्रारम्भ मुख्य अतिथि उप पुलिस महानिरीक्षक जोगिन्दर कुमार, कुलपति प्रो़ मुकेश पाण्डेय, विशिष्ट अतिथि हरगोविंद कुशवाहा, मुकुंद मेहरोत्रा, सुरेन्द्र सिंह, कौलेश कुमार, विजय खैरा, वसी मोहम्मद, राजबहादुर, प्रो सुनील काबिया आदि ने विश्वविद्यालय परिसर में शांति के प्रतीक कबूतर व गुब्बारों को आकाश मे छोड़कर किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
हमारी विरासत धीरे धीरे धराशायी होती जा रही है: कुशवाहा
इस दौरान कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अंतररष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने कहा ‘‘ बुन्देली धरा हमेशा से ही पर्यटकों को अपने ओर आकर्षित करती रही है किन्तु हम इसे पर्यटन उद्योग के रूप में स्थापित कर पाने में असफल रहे जिस कारण हमारी विरासत धीरे धीरे धराशायी होती जा रही है, जोकि आने वाली पीढ़ी के लिए चिंताजनक स्थिति है। बुंदेलखंड को देश के पर्यटन मानचित्र पर उभारने की जरूरत है।'' बुन्देलखंड के लोक कला, साहित्य, संस्कृति, पर्यटन, व्यंजन एवं ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में अनुकरणीय कार्यों व अतुलनीय योगदान हेतु वरिष्ठ समाजसेवी मुकुंद मेहरोत्रा व अंतररष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा को ‘‘बुंदेलखंड पर्यटन गौरव सम्मान '' से नवाजा गया।
बुन्देली व्यंजनों की तुलना विश्व के किसी भी व्यंजन से नहीं की जा सकती: महरोत्रा
बुन्देलखंड पर्यटन गौरव से सम्मानित मुकुंद महरोत्रा ने बताया कि बुन्देली व्यंजनों की पौष्टिकता की तुलना विश्व के किसी भी व्यंजन से नहीं की जा सकती है। शिल्पकला की द्दष्टि से भी बुन्देलखण्ड अत्यंत समृद्धशाली है यहाँ के बने वाद्ययंत्र हारमोनियम, सितार, तबला आदि की माँग देशभर में रहती है। राज्यपाल द्वारा नामित विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य विजय खैरा ने कहा कि पर्यटन का मूल देशाटन है और बुन्देलखंड के बाँदा, झाँसी, ललितपुर व जालौन स्थित किलों की प्रसिद्धि पूरे देश में व्याप्त हैं।
विश्व शांति दिवस शिक्षकों की दूरदर्शिता का परिणाम
कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने आशा व्यक्त की कि यह सात दिवसीय आयोजन निश्चित रूप से आम जनमानस में अपने सांस्कृतिक धरोहरों व पर्यटन के प्रति जागरूकता लाने में सफल होगा। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित एबीटीओ के महासचिव कौशल कुमार ने कहा कि पर्यटन विकास का मार्ग शांति के चौराहे से गुजरता है, विश्वभर में जहाँ जहाँ शांति होगी वहाँ पर्यटन विकास का पहिया द्रुतगति से दौड़ेगा। उन्होंने आईटीएचएम विभाग की सराहना करते हुए कहा कि विश्व शांति दिवस से पर्यटन सप्ताह का आयोजन करना यहाँ के शिक्षकों की दूरदर्शिता का परिणाम है। उनका संस्थान यहाँ के छात्रों को अंतररष्ट्रीय फलक पर प्रशिक्षण एवं सेवायोजन में सहायता करेगा।
बुन्देलखंड में ऐतिहासिक पर्यटन की अपार संभावनाएं
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित झांसी रेंज के उप पुलिसमहानिरीक्षक जोगिंदर कुमार ने कहा कि बुन्देलखंड की अपनी समृद्धशाली सांस्कृतिक, साहित्यिक व ऐतिहासिक परम्परा है, जो किसी भी विकसित पर्यटन क्षेत्र के लिए अनिवार्य उत्पाद होता है। बुन्देलखंड में कृषि पर्यटन, साहसिक पर्यटन, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। कुलपति मुकेश पाण्डेय ने पर्यटन एवं होटल उद्योग को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक बताया, उन्होंने फ़्रांस, स्पेन आदि यूरोपीय देशो से तुलना करते हुए कहा कि कई यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था पूर्णत: पर्यटन पर निर्भर है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि आईटीएचएम विभाग द्वारा पर्यटन एवं होटल प्रबन्धन में शिक्षित मानव संसाधनों के सदुपयोग व स्टाटर्अप से इस क्षेत्र की पर्यटन की दशा सुधर सकती है।
पर्यटन क्षेत्र के दिग्गजों पर कोरोना महामारी के बाद सबसे बड़ी जिम्मेदारी
प्रो़. सुनील काबिया ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पर्यटन क्षेत्र के इन दिग्गजों पर कोरोना महामारी के बाद सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वो इस क्षेत्र के सतत विकास सम्वर्धन में अपना शत प्रतिशत योगदान दें जिससे आने वाली पीढ़ी की उत्सुकता बनी रहे।