जौनपुर: त्रिकोणीय मुकाबले में फंसती दिख रही मल्हनी विधानसभा सीट, ये है उम्मीदवार

punjabkesari.in Saturday, Feb 26, 2022 - 04:13 PM (IST)

जौनपुर: उत्तर प्रदेश विधानसभा के सातवें और अंतिम चरण में समाजवादी पार्टी (SP) के गढ़ के तौर पर विख्यात जौनपुर जिले की संवेदनशील विधानसभा क्षेत्र मल्हनी में त्रिकोणीय संघर्ष के हालात बने हुए है। पूर्व सांसद धनजंय सिंह के चुनाव मैदान में होने से यह विधान सभा अति संवेदनशील की श्रेणी में आ गई है। भाजपा ने पूर्व मंत्री स्वर्गीय उमानाथ सिंह के पुत्र एवं पूर्व सांसद डॉक्टर कृष्ण प्रताप सिंह ‘केपी' को प्रत्याशी बनाया है जबकि सपा अपने वोट बैंक के आधार पर विधायक लकी यादव को टिकट देकर के पूरी ताकत लड़ रही है। इस विधान सभा में बसपा के वोट बैंक पर सभी प्रत्याशियों की नजरें टिक गई है।

मल्हनी विधान सभा का गठन 2012 में परिसीमन के बाद हुआ है। यादव बाहुल्य इस सीट पर पिछले तीन चुनावों में सपा का कब्जा रहा है। मल्हनी में 2012 और 2017 में सपा के टिकट पर पारसनाथ यादव विधायक चुने गये थे। उनके निधन के बाद 2020 के उप चुनाव में उनके पुत्र लकी यादव सपा से विधायक हुए है। 2017 के आम चुनाव और 2020 के उपचुनाव में पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने सपा को कड़ी टक्कर दी थी। मौजूदा चुनाव में लकी यादव की कुर्सी हिलाने के लिये धनंजय सिंह जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर चुनावी रणक्षेत्र में उतरे हैं। यद्यपि इस दल का यहां पर कोई जनाधार यहां पर नहीं है, फिर भी धनंजय सिंह अपने जनाधार पर चुनाव में डटे हुए है। भाजपा ने जनसंघ के जमाने से केसरिया ध्वज उठाने वाले राजनैतिक परिवार के सदस्य पूर्व सांसद डॉ. कृष्ण प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है।

दिलचस्प है कि इस बार के चुनाव में राजनैतिक गणित के माहिर धनंजय सिंह ने अपने ही खास सिपहसालार शैलेन्द्र यादव को बसपा का प्रत्याशी घोषित करा दिया है जो एक तरह से डमी प्रत्याशी है और पर्दे के पीछे से धनंजय सिंह का समर्थन कर रहा है। इस पूरे खेल में बसपा के कोआडिर्नेटरो की अहम भूमिका मानी जा रही है। हालांकि बसपा के लड़ाई से बाहर होने के कारण यहां पर सपा बनाम धनंजय सिंह बनाम भाजपा की त्रिकोणीय लड़ाई हो रही है। इस क्षेत्र में सपा भाजपा सहित धनंजय सिंह की नजरें चुनाव जीतने के लिए बसपा के मूल मतदाताओ के उपर टिकी है। बसपा के मतदाताओ की खरीद फरोख्त का खेल हर स्तर पर किया जा सकता है । खरीद फरोख्त के खेल में कोई एक प्रत्याशी नहीं बल्कि त्रिकोणीय मुकाबले के सभी प्रत्याशी कर रहे है।

विधानसभा में कुल मतदाताओ की संख्या तीन लाख 78 हजार 835 है जिसमें पुरूष एक लाख 94 हजार 460 है तो महिला की संख्या एक लाख 84 हजार 370 है। जातीय आंकड़े के अनुसार इस विधान सभा में यादव मतदाताओ की संख्या 80 हजार से अधिक है। दलित मतो की संख्या 35 से 40 हजार के बीच है तो ब्राह्मण मतदाताओ की संख्या 40 हजार के आसपास है। क्षेत्रीय मतदाताओ की संख्या भी 30 हजार के आसपास है। विन्द निषाद लगभग 20 से 25 हजार के के बीच है तो चौहान भी 10 से 12 हजार के बीच है मौर्य मतदाता भी 15 से 20 हजार के बीच है, मुसलमान मतदाताओ की संख्या भी 20 से 25 हजार के आसपास बतायी गयी है।शेष अन्य जाति के मतदाता है। चुनाव में यादव और मुसलमान केवल अखिलेश यादव को देख रहा है प्रत्याशी कौन है इस पर कोई चर्चा नहीं है तो विन्द निषाद चौहान और क्षत्रीय मतदाताओ को लेकर धनंजय सिंह भी कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे है। भाजपा भी क्षत्रीय , ब्राह्मण और अति पिछड़ो को लेकर संघर्ष कर रही है हालांकि क्षत्रिय ब्राह्मण मौर्य एक जगह नहीं बल्कि सभी के साथ जुड़े हुए नजर आ रहे है। इसलिए यहां का चुनाव त्रिकोणीय हो चुका है।

विगत उप चुनाव मे सपा को 73 हजार से अधिक वोट मिले थे तो दूसरे स्थान पर निर्दल प्रत्याशी के रूप में धनंजय सिंह 68 हजार वोट पा कर पराजित हुए थे। इस बार यादव मतदाता किसी भी दशा में अखिलेश यादव को सीएम बनाने के लिए संकल्पित है इसका असर मतदान और परिणाम में जरूर नजर आ सकता है। हलांकि धनंजय सिंह भी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष होने का पूरा लाभ उठाने में जुटे हुए है। 10 मार्च को परिणाम बतायेगा सेहरा किसके सिर पर बधेगा। 
 


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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