काशीः बाबा कालभैरव ने 50 साल बाद छोड़ा कलेवर, हर-हर महादेव से गुंज उठी शिवनगरी

punjabkesari.in Thursday, Feb 25, 2021 - 03:09 PM (IST)

वाराणसीः उत्तर प्रदेश स्थित धर्मनगरी वाराणसी में विराजमान काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव सभी आपदाओं व समस्याओं से भक्तों की रक्षा करते हैं। बाबा भैरव ने 50 साल बाद अपना कलेवर छोड़ दिया। भोर में बाबा ने जब अपना कलेवर छोड़ा तो उस समय मंगला आरती हो रही थी। इस पर नजर पड़ते ही परिसर जयकार, शंख ध्वनि और घंटा-घड़ियाल की टंकार से गूंज उठा। कलेवर को लाल वस्त्र में बांध कर पंचगंगा घाट ले जाया गया। श्रद्धालु नाव में सवार होकर मध्यधार में पहुंचे और कलेवर को विसर्जित किया।

बता दें कि इसके पीछे जो मान्यता है वह यह मानता है कि बाबा कलेवर तभी छोड़ते हैं जब कोई बड़ी आपदा आने वाली होती है। कलेवर छोड़ने का मतलब होता है कि आपदा को उन्होंने खुद झेल लिया है। 14 साल पहले भी एक बार बाबा ने विग्रह से एक परत का छूटा था।

ये है कलेवर की मान्‍यता
आगे बता दें कि काशी में बाबा को चमेली का तेल और सिंदूर का लेप लगाने की परंपरा रही है। नित्‍य उनके शरीर पर लेपन की प्रक्रिया के बाद एक समय आता है जब इसकी परत अपने आप निकल जाती है। आज से लगभग 14 बरस पूर्व बाबा कालभैरव के शरीर से कलेवर की परत अलग हुई थी। मान्यता है कि बाबा भैरव अपने इस कलेवर को अपने श्रद्धालुओं को बचाने के लिए शरीर से छोड़ देते हैं। अर्थात किसी बड़ी आपदा या मुसीबत को खत्म कर देते हैं।

इस बाबत मंदिर के महंत नवीन गिरि ने बताया कि वस्‍त्र की तरह बाबा देश में विपत्ति आने पर अपने शरीर के ऊपर ले लेते हैं, इसके बाद विपत्ति खत्‍म हो जाती है। यह हमेशा होता है। बाबा हमेशा आंशिक रूप से छोड़ते थे इस बार 50 साल बाद पूर्ण रूप से कलेवर छोड़े हैं। यह ऐतिहासिक घटना है। इसका मतलब है कि इस बार कोई बड़ी विपत्ति थी जो टल गई।


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Content Writer

Moulshree Tripathi

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