माघ मेला क्षेत्र हुआ बेरंग, उखड़ने लगा तंबुओं का अस्थाई शहर, विदा हुए कल्पवासी

punjabkesari.in Wednesday, Mar 03, 2021 - 11:38 AM (IST)

प्रयागराज: माघ पूर्णिमा स्नान पर्व के बाद तीन दिन तक चलने वाले त्रिजटा स्नान का समापन हो गया है और अब पूरी तरीके से कल्पवासी संगम की रेती से विदा हो रहे हैं। ये सभी कल्पवासी पौष पूर्णिमा स्नान से पहले संगम की रेती पर आ गए थे और 1 महीने तक कल्पवास करने के बाद अब वह अपने अपने घर लौट रहे हैं ।हालांकि  माघी पूर्णिमा स्नान पर्व पर ही  कई कल्पवासी लौट गए थे लेकिन अधिकतर कल्पवासी  त्रिजटा का स्नान करने के बाद अब लौट रहे हैं।
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त्रिजटा का स्नान माघी पूर्णिमा के बाद लगातार तीन दिन तक होता है और इन 3 दिनों में कल्पवासी गंगा स्नान करते हैं, सूर्य को अर्घ्य देते है, दान देते है और उसके बाद अपने घर लौटते हैं। कल्पवासी जब लौट रहे होते हैं तो यह बेहद भावुक पल होता है क्योंकि देश के अलग-अलग हिस्सों से कल्पवासी आते हैं और 1 महीने तक यहां कल्पवास करते हैं इस दौरान कई अपरिचित लोगों से परिचय बनता है और जब 1 महीने का कल्पवास पूरा होता है तो सब भावुक हो जाते हैं।
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कल्पवासियों के जाने से संगम की रेती मैं अब वो रौनक दिखाई नहीं दे रही है। जगह- जगह मेले मैं लगे पंडालों को हटाया जा रहा है। कल्पवासियों के टेंट को भी निकालने का काम शुरू हो गया है।
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 हालांकि कल्पपवासियों ने कहा कि साल भर तक वह संगम में आने का इंतजार करते हैं और अब वह इस संकल्प के साथ घर जा रहे हैं कि अगले साल कल्पवास में फिर आएंगे। साधु संत और श्रद्धालुओं का कहना है कि कल्पवास के दौरान लोगो से एक अलग सा रिश्ता जुड़ जाता है, जो  हमेशा के लिए यादगार बन जाता है। 

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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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