Basant Panchami 2023: माघ मेले का चौथा स्नान पर्व आज, बारिश के बावजूद भी संगम तट पर उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब
punjabkesari.in Thursday, Jan 26, 2023 - 11:34 AM (IST)
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प्रयागराज(सैय्यद रजा): ऋतुराज बसंत के आगमन और विद्या की देवी सरस्वती की उपासना का पर्व बसंत पंचमी (Basant Panchami) आज देश भर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस मौके पर प्रयागराज (Prayagraj) के संगम में सरस्वती की धारा की मान्यता की वजह से देश के कोने-कोने से स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं (Devotees) का तांता लगा हुआ है। श्रद्धालु (Devotee) त्रिवेणी के तट पर गंगा-यमुना (Ganga Yamuna) और अदृश्य सरस्वती की धारा में डुबकी (Bath) लगाकर विद्या की देवी सरस्वती की आराधना कर उनसे ज्ञान व सदबुद्धि की कामना कर रहे हैं। संगम पर लगे माघ मेले (Magh Mela) के तमाम पंडालों में सरस्वती की पूजा और आरती कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश की जा रही है।
बसंत पंचमी के मौके पर प्रयागराज में संगम तट पर श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब
जानकारी के मुताबिक, बसंत पंचमी के मौके पर प्रयागराज में संगम तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। संगम की तरफ जाने वाला हर रास्ता श्रद्धालुओं की भीड़ से भरा पड़ा है। देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालु ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती की अदृश्य धारा और गंगा-यमुना के जल में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। श्रद्धालु इस मौके पर मोक्षदायिनी गंगा और ज्ञान की देवी सरस्वती से अपनी मनोकामनाएं मांग रहे हैं। बसंत पंचमी पर युवा वर्ग सरस्वती की कृपा बनी रहने और गृहस्थ सदबुद्धि की कामना कर रहे हैं। संगम पर रात से ही बसंत पंचमी का स्नान शुरू हो गया है और पूरे दिन में करीब 1 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की उम्मीद है, वहीं दूसरी तरफ तमाम पंडालों में विद्या की देवी सरस्वती की पूजा और आरती कर उनसे आशीर्वाद लिया जा रहा है।
गंगा में डुबकी लगाने के साथ ही जगह-जगह सरस्वती को पूजे जाने की भी है परम्परा
पुराणों के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन जहां परम पिता ब्रह्मा ने त्रिवेणी के इसी तट पर सृष्टि की रचना की थी तो वहीं ज्ञान की देवी सरस्वती भी आज ही के दिन प्रकट हुई थी। इसीलिए बसंत पंचमी पर पतित पावनी व मोक्ष दायिनी गंगा में डुबकी लगाने के साथ ही जगह-जगह सरस्वती को पूजे जाने की भी परम्परा है। प्रयागराज में बसंत पंचमी पर गंगा यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगाकर सरस्वती की पूजा करने वाले को 100 गुना फल प्राप्त होता है। बसंत पंचमी के मौके पर विद्या की देवी सरस्वती के साथ ही धन की देवी लक्ष्मी और शुभ के देवता गणेश की पूजा करने से ज्ञान धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
बताया जा रहा है कि लोक साहित्य में बसंत पंचमी को ऋतुओं के बदलाव और उल्लास का प्रतीक भी माना गया है। फसलों के पकने और खुशियां आने की सूचना देने वाले इस लोक पर्व को इसीलिए देश में उल्लास पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। प्रयागराज में त्रिवेणी के तट पर लगे माघ मेले में आए साधू-संत भी अपने खास अंदाज में इस उल्लास पर्व को मनाते हैं।