विवाहित बेटी को नहीं किया जा सकता अनुकंपा नियुक्ति से वंचित,  बेटियों के पक्ष में हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

punjabkesari.in Tuesday, Aug 26, 2025 - 06:12 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि विवाहित बेटी को अनुकंपा आधार पर नौकरी देने से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सिंगल जज की बेंच के पुराने आदेश को रद्द कर दिया और मामला जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (देवरिया) को पुनः विचार के लिए भेज दिया।

मामला क्या है?
चंदा देवी, देवरिया निवासी संपूर्णानंद पांडेय की बेटी हैं। पांडेय देवरिया के एक विद्यालय में सहायक अध्यापक थे। उनकी मृत्यु के बाद चंदा देवी ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पति बेरोजगार हैं और वह आर्थिक रूप से अपने माता-पिता पर ही निर्भर हैं। लेकिन, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दिसंबर 2016 में आवेदन खारिज कर दिया। उनका तर्क था कि चंदा विवाहित हैं, इसलिए उन्हें अनुकंपा नियुक्ति का लाभ नहीं मिल सकता।

सिंगल जज का फैसला
चंदा देवी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। सिंगल जज की बेंच ने माना कि विवाहित बेटी को सीधे लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता, लेकिन यह कहते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी कि वह यह साबित नहीं कर पाईं कि उनके पति वास्तव में बेरोजगार हैं और वह पूरी तरह से माता-पिता पर निर्भर हैं।

डिवीजन बेंच का आदेश
इसके बाद, चंदा देवी ने विशेष अपील दाखिल की। अब हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल जज का आदेश (दिनांक 15 मई 2025) रद्द कर दिया है। कोर्ट ने देवरिया के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया है कि सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर दोबारा विचार करके आठ सप्ताह के भीतर नया निर्णय लें। कोर्ट ने साफ कहा, एक विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।”


 


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Content Writer

Ramkesh

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