पत्नी व बच्चों की सही परवरिश करने में सक्षम नहीं तो मुस्लिम पुरुषों को दूसरी शादी करने की इजाजत नहीः हाईकोर्ट
punjabkesari.in Tuesday, Oct 11, 2022 - 12:51 PM (IST)

प्रयागराजः पहली पत्नी के रहते मुस्लिम पुरुषों को दूसरी शादी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि इस्लामी कानून एक पत्नी के रहते मुस्लिम पुरुष को दूसरी शादी का हक देता है लेकिन पत्नी की मर्जी के खिलाफ कोर्ट के जरिए भी उसे (पत्नी) को साथ रहने का आदेश पाने का अधिकार नहीं है।
सहमति के बगैर दूसरी शादी करना पहली पत्नी के साथ क्रूरता
अदालत ने आगे कहा कि पत्नी की सहमति के बगैर और बिना बताए दूसरी शादी करना पहली पत्नी के साथ क्रूरता है। न्यायालय यदि पहली पत्नी को पति के साथ रहने को बाध्य करती है तो यह महिला के गरिमामय जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन होगा।
...तो दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं
अदालत ने कुरान की सूरा-4 आयत-3 का हवाला देते हुए कहा कि यदि मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी व बच्चों की सही परवरिश करने में सक्षम नहीं है तो दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं होगी। कोर्ट ने परिवार अदालत संत कबीरनगर द्वारा पहली पत्नी हमीदुन्निशा उर्फ शफीकुंनिशा को पति के साथ उसकी पत्नी के खिलाफ रहने के लिए आदेश देने से इनकार करने को सही करार दिया है। न्यायालय ने फैसले व डिक्री को इस्लामिक कानून के खिलाफ मानते हुए रद्द करने की मांग में दाखिल प्रथम अपील खारिज कर दी है। यह फैसला न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी व न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने अजीजुर्रहमान की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है।
मुसलमानों को स्वयं ही एक पत्नी के रहते दूसरी शादी से बचना चाहिए-
कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस समाज में महिला का सम्मान नहीं, उसे सभ्य समाज नहीं कहा जा सकता। महिलाओं का सम्मान करने वाले देश को ही सभ्य देश कहा जा सकता है। मुसलमानों को स्वयं ही एक पत्नी के रहते दूसरी से शादी करने से बचना चाहिए। एक पत्नी के साथ न्याय न कर पाने वाले मुस्लिम को दूसरी शादी करने की स्वयं कुरान ही इजाजत नहीं देता