मायावती ने मशीनरी पर फोड़ा निकाय चुनाव में हार का ठीकरा, बसपा प्रत्याशी ने कहा- EVM पर कोई कुछ भी कहे, सपा को ही मिला मुसलमानों का वोट
punjabkesari.in Tuesday, May 16, 2023 - 02:47 PM (IST)

बरेली: निकाय चुनाव में पार्टी की करारी हार पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर यह चुनाव जीता गया है और उनकी पार्टी इस पर चुप नहीं बैठेगी। पार्टी सुप्रीमों के आरोप को बसपा नेता ने ही खारिज कर दिया है। बरेली से मेयर चुनाव में चौथे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी यूसुफ जरीवाला ने ईवीएम से निकले नतीजों को खारिज करते हुए दावा किया है कि ज्यादातर मुस्लिम वोट सपा को ही मिला है। हालांकि सपा और कांग्रेस लड़ाई में ही नहीं थे। विधानसभा चुनाव के बाद से बसपा की महानगर कमेटी भंग न चल रही होती और उनको चुनाव ठीक से लड़ाया जाता तो उन्हीं का मुकाबला भाजपा से होता। यूसुफ ने कहा कि मेयर का चुनाव लड़ने के लिए बसपा के पास उनसे ज्यादा उपयुक्त प्रत्याशी नहीं थे। पार्टी का संगठन होता, साथ ही सभी वार्डो में प्रत्याशी खड़े किए जाते तो मेयर की सीट पर बसपा का ही कब्जा होता।
मतदान के दो दिन पहले तक बसपा की स्थिति अच्छी थीः यूसुफ जरीवाला
यूसुफ जरीवाला यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि मतदान के दो दिन पहले तक बसपा की स्थिति अच्छी थी, एक दिन पहले न जाने क्या हुआ कि चुनाव हाथ से निकल गया। मुस्लिम मतदाताओं को लगा कि वह नहीं जीत रहे हैं तो उन्होंने सपा को वोट कर दिया। अपनी हार का कारण बताते हुए यूसुफ ने कहा कि बसपा का चुनाव मुस्लिम और दलित वोटों पर ही केंद्रित था। महानगर में बसपा के अध्यक्ष और दूसरे पदाधिकारी होते तो वे उन्हें चुनाव लड़ाते | 80 वार्डो में प्रत्याशी खड़े किए जाते तो उनके वर्चस्व का भी कुछ वोट उन्हें मिलता लेकिन न संगठन चुनाव में जुटा न ही वार्डो के प्रत्याशियों का वोट उन्हें मिला। हालांकि जनता ने फिर भी उन्हें भरपूर प्यार दिया।
जब कमेटियां ही भंग चल रही थी तो चुनाव कौन लड़ाने आताः जिलाध्यक्ष बसपा
जिलाध्यक्ष बसपा जयपाल सिंह ने कहा कि " विधानसभा चुनाव के बाद से महानगर कमेटी भंग है। प्रत्याशी की घोषणा भी चुनाव के 10 दिन पहले ही हुई। पार्षद प्रत्याशियों का चयन आनन-फानन में किया गया लेकिन वे जनता के बीच नहीं गए। मेयर प्रत्याशी को गलतफहमी थी कि संगठन उनको चुनाव लडाएगा। जब कमेटियां ही भंग चल रही थी तो चुनाव कौन लड़ाने आता। यह बात उन्हें पहले से पता नहीं थी क्या। अब संगठन पर तोहमत लगाना ठीक नहीं है।