नोएडा: रावण के पैतृक गांव की बदली परंपरा, पहली बार राम के नाम पर उत्सव

punjabkesari.in Wednesday, Aug 05, 2020 - 02:32 PM (IST)

नोएडा: अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्‍यास को लेकर पूरे देश में हर्ष का माहौल है तो वहीं रावण की जन्मस्थली बिसरख गांव में भी इस मौके पर लोगो ने खुशी के साथ रावण के मंदिर में पूजा अर्चना की। बता दें कि गांव मेें राम का नहीं बल्कि रावण का एक विशाल मंदिर है, जहां आज भी रावण की पूजा की जाती है। गांव वालों की याद्दाश्‍त में यह पहला मौका होगा, जब गांव वाले राम के नाम पर कोई उत्‍सव मनाने जा रहे हैं। ग्रामीण ने बताया कि इस ऐतिहासिक मौके पर हम भी अपने गांव की इस परंपरा को बदलने जा रहे है। क्यों कि इस से पहले गांव में राम के नाम पर कोई उत्सव नहीं होता था।
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रावण मंदिर के पुजारी महंत रामदास ने बताया कि अयोध्‍या में राम मंदिर शिलान्‍यास के अवसर को रावण जन्म स्थली बिसरख धाम में मानव कल्याण दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि इस विशेष अवसर पर श्री राम मंदिर के निर्विघ्न निर्माण हेतु विशेष यज्ञ का आयोजन बिसरख धाम आश्रम में किया गया है। साथ ही, राम नाम संकीर्तन एवं दीपोत्सव भी किया जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि बिसरख धाम के समस्त निवासी राम मंदिर के निर्माण को लेकर बेहद उत्‍साहित हैं। आचार्य अशोकानंद महाराज का कहना है कि श्री राम और रावण का अंतरात्मा व पूर्व भक्ति से विशेष गूढ़ संबंध रहा है। रावण मंदिर के पुजारी महंत रामदास ने बताया कि अयोध्‍या में राम मंदिर के शिलान्‍यास के उपरांत पूरे गांव में मिठाई का वितरण किया गया।

रावण मंदिर के पुजारी महंत रामदास ने बताया कि रावण का जन्‍म नोएडा के इसी बिसरख गांव में हुआ था। रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने इस गांव में अष्ट भुजाधारी शिवलिंग की स्थापना की थी। इसी शिवलिंग की उपासना एवं घोर तपस्या के बाद उन्‍हें रावण के रूप में पुत्र रत्‍न की प्राप्‍ति हुई थी। उनका कहना है कि यदि रावण नहीं होता, तो कोई राम नहीं होता और भगवान राम ने अवतार न लिया होता तो किसी को भी रावण के बारे में कुछ पता नहीं चलता। ये दोनों अस्तित्व एक तरह से आपस में जुड़े हुए हैं।


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Ramkesh

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