Premanand Maharaj: अब भक्त नहीं कर पाएंगे प्रेमानंद महाराज जी के दर्शन, बढ़ती भीड़ के कारण लिया निर्णय
punjabkesari.in Tuesday, Dec 19, 2023 - 01:22 PM (IST)
मथुरा, Premanand Maharaj: वृंदावन से दुनिया भर में प्रसिद्ध हुए प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज अपने विचारों के लिए जाने जाते हैं। उनके सत्संग का वीडियो करोड़ों लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर देखते हैं। उनके भक्तों में विराट कोहली, बी प्राक, रवि किशन, जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं। वह सुबह दो बजे परिक्रमा के लिए निकल जाते हैं। इसके बाद सुबह साढ़े चार बजे से भजन सत्संग शुरू करते हैं। उनके विचारों को सुनने के लोगों की भारी भीड़ जमा होती है, लेकिन अब प्रेमानंद महाराज रात में भक्तों को दर्शन नहीं देंगे, इस खबर से उनके भक्तों में मायूसी छा गई है। यह निर्णय उन्होंने लगातार स्वास्थ्य में हो रही गिरावट और बढ़ती भीड़ के कारण लिया है। संत प्रेमानंद महाराज अब केवल एकांकी मुलाकात करेंगे। उनके आश्रम प्रबंधन द्वारा जारी किए गए संदेश में कहा गया है कि यह निर्णय अनिश्चित काल के लिए लिया गया है।
दरअसल, प्रेमानंद महाराज रोजना अपने घर से रात करीब 2:30 बजे अपने शिष्यों के साथ निकलकर अपने आश्रम पैदल ही चल कर आते हैं. जिसका रास्ता करीब 3 किलोमीटर लंबा है और पूरे रास्ते बाबा के सैकड़ों भक्त हर रात उनके दर्शन के लिए रास्ते में खड़े रहते हैं और दिन प्रतिदिन भीड़ का आलम बढ़ता ही जा रहा था। इसके अलावा बढ़ती ठंड की वजह से भी महाराज जी के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा था। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए आश्रम समिति की तरफ से बताया गया है कि रोज रात को होने वाले महाराज जी के दर्शन को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया जाता है। इस वजह से अब महाराज जी के रात्रि दर्शन भक्तों को नहीं हो पाएंगे। यह जानकारी श्रीहित राधा केलि कुंज परिकर के हवाले से वृंदावन रस महिमा के नाम से फेसबुक एकाउंट पर दी गई है।
कौन हैं संत प्रेमानंद माहाराज?
संत प्रेमानंद माहाराज का जन्म कानपुर के एक गांव सरसों में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। महाराज का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। इनके पिता और दादा दोनों की सन्यासी थे। इनकी मां धर्म परायण थी। इनके माता-पिता साधु-संतों की सेवा करते थे और आदर सत्कार भी करते थे। कुछ समय में ही महाराज ने आधात्यम का रास्ता चुन लिया और श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जप करना शुरू कर दिया। इसी के साथ उन्होने अपना घर त्याग दिया। ऐसा माना जाता है कि भोलेनाथ ने स्वंय प्रेमानंद जी को दर्शन दिए और उसके बाद वो वृंदावन आए।
ऐसा माना जाता है कि प्रेमानंद महाराज ने वृंदावन आने के बाद महाराज श्री चैतन्य महाप्रभु की लीलाएं देखते थे और रात को रासलीला देखते थे। इसके बाद उनके जीवन में परिवर्तन आया। उन्होंने सन्यास त्याग कर भक्ति के मार्ग को चुन लिया। महाराज ने राधा बल्लभ संप्रदाय में जाकर शरणागत मंत्र ले लिया। कुछ दिनों बाद महाराज अपने वर्तमान के सतगुरु जी को मिले। महाराज ने अपने गुरु की 10 साल तक सेवा की और बड़े से बड़े पापी को भी सत्य की राह पर चलने के लिए मजबूर कर दिया।