अयोध्या ढांचा विध्वंस मामला: आडवाणी, उमा भारती समेत 32 को बरी करने के फैसले के विरुद्ध याचिका पर आदेश सुरक्षित

punjabkesari.in Monday, Oct 31, 2022 - 10:34 PM (IST)

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह तथा कई अन्य वरिष्ठ नेताओं समेत 32 आरोपियों को बरी किए जाने के निचली अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका की पोषणीयता पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।
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न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की पीठ ने अयोध्या वासियों हाजी महमूद अहमद और सैयद अखलाक अहमद की अपील सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर अपना आदेश सुरक्षित रखा है। दोनों याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे ढांचा विध्वंस मामले की अदालती कार्रवाई के दौरान अभियुक्तों के खिलाफ गवाह थे और वे विवादित ढांचे को ढहाये जाने के पीड़ित भी हैं। राज्य सरकार और सीबीआई ने इस याचिका पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए जोर देकर कहा था कि दोनों याचिकाकर्ता ढांचा विध्वंस मामले के ना तो शिकायतकर्ता थे और ना ही पीड़ित। लिहाजा वे इस मामले में दिए गए निर्णय को चुनौती नहीं दे सकते। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

गौरतलब है कि छह दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने कथित तौर पर अयोध्या स्थित विवादित ढांचा ढहा दिया था। इस मामले में आरोपी बनाए गए पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती तथा बजरंग दल संस्थापक विनय कटियार समेत 32 लोगों को विशेष सीबीआई अदालत ने 30 सितंबर 2020 को बरी कर दिया था। अदालत ने घटना से जुड़ी अखबारों की कटिंग और वीडियो क्लिप को यह कहते हुए सुबूत मानने से इनकार कर दिया था कि उन्हें उनके मौलिक स्वरूप में अदालत में प्रस्तुत नहीं किया गया है। जबकि वादी पक्ष पूरी तरह से इन्हीं दस्तावेजी सबूतों पर निर्भर था।

इस आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय से अपील की कि सीबीआई अदालत ने पर्याप्त सुबूत होने के बावजूद अभियुक्तों को बरी कर दिया। याचियों ने सीबीआई अदालत के फैसले को दरकिनार करने के आदेश देने का आग्रह किया। सीबीआई ने इस याचिका को सुनवाई योग्य नहीं बताते हुए पिछली पांच सितंबर को शुरुआती आपत्ति दर्ज कराई थी। याचिकाकर्ताओं ने सोमवार को इस मामले पर अपना प्रत्युत्तर दाखिल किया।


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Content Writer

Mamta Yadav

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