फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर 276 गांवों के लोग, खतरे में कई जान, ग्रामीण बोले- 'कोई सिर्फ पीने लायक पानी दिला दे...
punjabkesari.in Friday, Feb 28, 2025 - 03:52 PM (IST)
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सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के 276 गांवों में फ्लोराइडयुक्त पानी की समस्या लगातार बढ़ रही है। यहां के लोग फ्लोराइडयुक्त पानी पीने के लिए मजबूर हैं। इसके बावजूद कई सालों से इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है। गांववाले इस स्थिति से काफी परेशान हो चुके हैं और उनका कहना है कि उन्हें सिर्फ पीने योग्य पानी मिल जाए, ताकि वे और उनकी आने वाली पीढ़ियां जिंदा रह सकें। फ्लोराइड एक धीमा जहर है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
फ्लोराइड से हो रही समस्याएं
कचनरवा के ग्राम पंचायत की धांगर बस्ती की निवासी 55 वर्षीय रजमतिया की कमर पूरी तरह से झुक चुकी है। उन्होंने बताया कि पहले वह स्वस्थ थीं, लेकिन बच्चों के जन्म के बाद उनकी रीढ़ की हड्डी और पैरों में समस्या शुरू हो गई। अब वह सिर्फ दर्द की दवाएं खाती हैं। उनके पड़ोस में रहने वाली 35 वर्षीय कुलवंती की कमर भी करीब 10 साल से झुकी हुई है। कुलवंती कहती हैं कि वह जब शादी के बाद यहां आई थीं, तब पूरी तरह से स्वस्थ थीं, लेकिन यहां का पानी पीने से यह समस्या हो गई।
अन्य गांवों की स्थिति
सोनभद्र के हरदी पहाड़ के पास बसे गांव पड़रक्ष पटेलनगर के लोग भी फ्लोराइडयुक्त पानी पीने के लिए मजबूर हैं। यहां के शिक्षक राम आधार पटेल बताते हैं कि लगभग 500 घरों वाले इस गांव के 90 प्रतिशत लोग फ्लोरोसिस से पीड़ित हैं। यहां कुछ फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए थे, लेकिन इनकी देखरेख न होने की वजह से अधिकांश प्लांट खराब हो चुके हैं।
1995 में उठाया था फ्लोराइड का मुद्दा
फ्लोराइड प्रभावित इलाके के निवासी बताते हैं कि उन्होंने 1995 में ही फ्लोराइड वाले पानी का मुद्दा उठाया था। धरना-प्रदर्शन भी किया था और लखनऊ तक दौड़ लगाई थी, लेकिन इस मुद्दे का कोई समाधान नहीं निकला। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर नहीं हैं और इलाज के नाम पर सिर्फ दर्द की दवाइयां दी जाती हैं। पांच साल से जिले के प्रशासनिक अधिकारी, सांसद और विधायक यहां नहीं आए। लोग कहते हैं कि वोट मांगने के समय तो सभी आते हैं, लेकिन अन्य समय में कोई सुध लेने वाला नहीं है।
'कनेक्शन तो दिए, मगर पानी अभी तक नहीं आया'
लोगों का कहना है कि जल जीवन मिशन के तहत घरों में कनेक्शन तो दिए गए हैं, लेकिन नल से पानी अभी तक नहीं आया है। कचनरवा में सौर ऊर्जा से संचालित फ्लोराइड रिमूवल प्लांट से पानी की आपूर्ति होती है, लेकिन वह भी दूषित है। हैंडपंपों में लगे फ्लोराइड रिमूवल प्लांट भी खराब पड़े हैं और उनकी मरम्मत के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। फ्लोराइडयुक्त पानी का असर सिर्फ इंसानों पर ही नहीं, बल्कि जानवरों पर भी हो रहा है। जानवरों की हड्डियां भी कमजोर हो गई हैं।
एनजीटी का आदेश
सोनभद्र जिले में फ्लोराइड और आयरन रिमूवल के लिए सौर ऊर्जा आधारित प्लांट लगाने के संबंध में 2022 में एनजीटी ने एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में कहा गया था कि दो सप्ताह के भीतर पर्यवेक्षीय समिति का गठन किया जाए और हर तीन महीने में रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत की जाए। इसके अलावा, फ्लोराइड प्रभावित गांवों में आरओ प्लांट लगाने की बात भी की गई थी।
किट वितरण में भी कमी
लोगों का कहना है कि एक एनजीओ ने डेढ़ साल पहले 2023 में फ्लोराइड रिमूवल किट वितरित की थी, लेकिन बाद में आदेश आया कि किट का भुगतान ग्राम पंचायतों को अपनी ओर से करना होगा। पंचायतों के पास बजट न होने के कारण किट फिर से वितरित नहीं की जा सकी। एक किट की कीमत करीब 3,000 रुपये थी।