President Election 2022: लखनऊ में यशवंत सिन्हा ने मांगा समर्थन, कहा- हुकूमत में बैठे लोग चाहते हैं कि समाज बंटे

punjabkesari.in Thursday, Jul 07, 2022 - 09:02 PM (IST)

लखनऊ: राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष की ओर से उम्मीदवार बनाये गये पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश में अपने चुनाव अभियान के दौरान सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर आरोप लगाया कि हुकूमत में बैठे लोग समाज को बांटना चाहते हैं।       

उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सिन्हा ने अपने प्रचार अभियान की जानकारी देते हुए सत्तापक्ष पर जमकर आरोप लगाये। गौरतलब है कि आगामी 18 जुलाई को हो रहे राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाले राजग का उम्मीदवार बनाया गया है।       

सिन्हा ने कहा, ‘‘हुकूमत में बैठे लोग चाहते हैं कि समाज बंटे। आखिर वोट की राजनीति के लिए क्या देश की चिंता नहीं करेंगे।'' उन्होंने कहा कि अब इसमें कोई शक नहीं है कि सरकार को विपक्ष की जरूरत ही नहीं है। उन्होंने लखनऊ शहर के साथ अपनी यादें ताजा करते हुए कहा, ‘‘यह अटल का शहर रहा है। अटल के साथ नजदीक से काम करने का मौका मिला। उनके साथ काम करने में आनंद आता था। वह सहमति में विश्वास रखते थे। अटल हमसे कहते थे कि विपक्ष के साथ बैठकर बात करो, रास्ता निकालो। आज अटल की पार्टी कहां से कहां पहुंच गई है।''       

सिन्हा ने कहा कि इस बार का राष्ट्रपति चुनाव असाधारण परिस्थितियों में हो रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया कि मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री, बड़ी से बड़ी घटनाओं पर चुप रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि देश में संविधान के मूल्यों की रक्षा नहीं हो रही है। अखिर संविधान नहीं होगा, तो देश के नागरिक न्याय के लिए किस फोरम में जायेंगे। आज लगता है, कही भी इंसाफ नहीं मिल रहा है।       

यशवंत ने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का मामला कोटर् में गया, लेकिन सुनवाई कब होगी पता नहीं। इसी प्रकार सीएए और एनआरसी पर सुनवाई कब होगी, किसी को पता नहीं। सिन्हा ने अपनी कार्ययोजना का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘अगर मुझे देश का राष्ट्रपति चुना जाता है तो मैं केवल संविधान के प्रति जवाबदेह होऊंगा। इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि जो भी प्रधानमंत्री है, उसके साथ टकराव का रास्ता खोल दूंगा। इसका अर्थ प्रधानमंत्री के साथ बातचीत कर रास्ते निकालना होगा।''       

उन्होंने कहा कि इसके अलावा वह राष्ट्रपति भवन में संविधान के संरक्षक के रूप में काम करेंगे। उन्होंने मोदी सरकार पर निर्वाचित राज्य सरकारों को जोड़-तोड़ के प्रपंच कर गिराने का परोक्ष आरोप भी लगाया। अटल सरकार में वित्त मंत्री रहे भाजपा के पूर्व वरिष्ठ नेता सिन्हा ने कहा, ‘‘अगर मेरे संज्ञान में ऐसी कोई बात आती है कि भारत सरकार कोई ऐसा काम कर रही है कि जिससे प्रजातंत्र का हनन हो रहा है, जैसा कि अभी महाराष्ट्र और इससे पहले कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश आदि राज्यों में चुनी हुयी सरकारों को गिराया गया, तो मैं उसे रोकूंगा।'' उन्होंने कहा कि समाज में धर्म के आधार पर जिस तरह से सांप्रदायिक बंटवारा हो रहा है, वह उसे भी रोकेंगे।       

सिन्हा ने कहा, ‘‘इसके अलावा मैं आपसे वादा करके जाना चाहता हूं कि मैं राष्ट्रपति बनने पर अभिव्यक्ति और प्रेस की आजादी सहित अन्य संविधान प्रदत्त स्वतंत्रताओं को सुनिश्चित करूंगा। राष्ट्रपति का यह अधिकार है कि वह इस तरह की परिस्थितियों में प्रधानमंत्री को बुलायें और समझायें। पहले के राष्ट्रपतियों ने ऐसा किया है। इसका मैं भी पालन करूंगा।''  इस अवसर पर पूर्व भाजपा नेता सुधीन्द्र कुलकर्णी भी मौजूद थे। सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों संवैधानिक पद हैं और दोनों को संविधान के अनुसार कार्य करना चाहिये। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे शपथ लेने के दूसरे दिन से ही जनसेवा का दुरुपयोग बंद हो जाएगा।''       

इस दौरान जयंत चौधरी ने कहा कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष के साझे उम्मीदवार के तौर पर सिन्हा की दावेदारी पर सभी विपक्षी दलों ने मुहर लगाई है। उन्होंने समूचे विपक्ष से एकजुट होकर सिन्हा के चुनाव प्रचार अभियान में जुड़ने की अपील की। अखिलेश ने भी सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनाने पर खुशी का इजहार किया। उन्होंने कहा, ‘‘देश जिन हालात से गुजर रहा है, उनमें सरकार को रास्ता दिखाने के लिए यशवंत सिन्हा से अच्छा कोई प्रत्याशी नहीं हो सकता है।''


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Content Writer

Mamta Yadav

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